
GST कट... फिर भी सरकार का भरा खजाना, 1 महीने में ही कमा लिए 1.89 करोड़
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GST कटौती के बाद भी सितंबर में सरकार ने जीएसटी से शानदार राजस्व हासिल किया है. एक महीने में ही सरकार ने जीएसटी से 1.89 लाख करोड़ रुपये की कमाई दर्ज की है.
जीएसटी में बंपर कटौती के बाद पहली बार GST कलेक्शन का डाटा सामने आया है, जिसमें करीब डबल डिजिट में ग्रोथ हुई है. सितंबर में GST कलेक्शन 9 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 1.89 लाख करोड़ रुपये हो गया है. जीएसटी कलेक्शन पिछले साल इसी महीने की तुलना में 9.1 प्रतिशत ज्यादा और पिछले महीने की तुलना में 1.5 प्रतिशत अधिक रहा है.
सितंबर 2024 में सकल वस्तु और सेवा कर (GST) कलेक्शन 1.73 लाख करोड़ रुपये था. बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने यह कलेक्शन 1.86 लाख करोड़ रुपये था. महीने के दौरान, सकल घरेलू राजस्व 6.8 प्रतिशत बढ़कर 1.36 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि इम्पोर्ट टैक्स सितंबर में 15.6 प्रतिशत बढ़कर 52,492 करोड़ रुपये हो गया.
जीएसटी रिफंड भी साल-दर-साल 40.1 प्रतिशत बढ़कर 28,657 करोड़ रुपये हुआ है. सितंबर 2025 में नेट जीएसटी रेवेन्यू 1.60 लाख करोड़ रुपये रहा, जो साल-दर-साल 5 प्रतिशत की ग्रोथ को दिखाता है. ये आंकड़े ऐसे वक्त में आए हैं, जब 22 सितंबर से जीएसटी में बंपर कटौती को लागू किया गया.
जीएसटी कट के बाद भी ज्यादा कमी नहीं डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एमएस मणि ने कहा कि इस महीने सकल जीएसटी कलेक्शन में 1.89 लाख करोड़ रुपये की ग्रोथ यह दर्शाती है कि अगस्त के दौरान जीएसटी दरों में कटौती से आर्थिक गतिविधियों में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं आई है, क्योंकि यह डेटा अगस्त में हुए लेनदेन से संबंधित है.
सितंबर के इन कलेक्शन के साथ, उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 26 के दौरान एवरेज मंथली कलेक्शन 2 लाख करोड़ रुपये प्रति माह से थोड़ा ही कम है, जो वित्त वर्ष 25 की तुलना में शानदार ग्रोथ को दिखाता है, जब सितंबर 2024 तक औसत मंथली कलेक्शन 1.8 लाख करोड़ रुपये था.
टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी पार्टनर विवेक जालान ने कहा कि जहां तक जीएसटी रेवेन्यू का संबंध है, 22 सितंबर से कंजम्प्शन में ग्रोथ और 1-21 सितंबर, 2025 तक मांग में मंदी का प्रभाव एक-दूसरे के साथ संतुलित होता दिख रहा है. हालांकि, उन्होंने कहा कि दरों में कमी पर ITC के संचय की आशंकाओं और 22 सितंबर, 2025 से वाहनों की कमी के कारण जारी मंदी के कारण 21 सितंबर तक अंतर-राज्यीय स्टॉक ट्रांसफर और आपूर्ति में मंदी के कारण विनिर्माण राज्यों (महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक) में खपत में संतुलन नहीं हो सका.













