
20 की उम्र में शादी और 72 घंटे हफ्ते में काम... इन लीडर्स को क्या हुआ? नमिता थापर ने सुनाई खरी-खोटी!
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सप्ताह में 72 घंटे काम और 20 साल की उम्र में शादी वाले बयान को लेकर एमक्योर फार्मा की नमिता थापर ने आलोचना की है. उन्होंने कहा कि इन लीडर्स को क्या हो गया? वास्तवित मुद्दों पर बात नहीं हो रही है.
एमक्योर फार्मा की कार्यकारी निदेशक नमिता थापर ने ज़ोहो के संस्थापक श्रीधर वेम्बू और नारायण मूर्ति के बयानों की आलोचना की है. उन्होंने श्रीधर वेम्बू के बयान- 20 की उम्र में बच्चे पैदा करने चाहिए और इसे टालना नहीं चाहिए, पर कहा कि उन्हें एनीमिया से पीड़ित महिलाओं के प्रतिशत और महिला कार्यबल की भागीदारी पर गौर करना चाहिए.
नमिता थापर ने कहा कि प्रभावशाली नेता के पास वास्तविक मुद्दों को उठाने के लिए अपनी आवाज का जिम्मेदारी से यूज करने की बड़ी रिस्पॉन्सबिलिटी होती है.उन्होंने आगे कहा कि वह यह सुनकर हैरान रह गईं. उन्होंने वेम्बू का नाम नहीं लिया कि उन्होंने 20 साल की उम्र में शादी की सलाह दी थी. उन्होंने कहा कि यह उनके 'एक और पसंदीदा नंबर' 70 घंटे का कार्य सप्ताह के समान है.
क्या बोलीं नमिता थापर? अपने वीडियो मैसेज में नमिता थापर ने कहा कि चूंकि आपको संख्याएं इतनी पसंद हैं, जिस कारण मैं आपको दो रीयल नंबर बताना चाहूंगी. पहला- 57 प्रतिशत महिलाओं में एनीमिया है, दूसरा- 20 प्रतिशत से भी कम महिलाएं कार्यबल में भाग लेती हैं. यह दोनों ही नंबर सालों से नहीं बदले हैं. मैं इन मुद्दों पर ध्यान देकर महिलाओं के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करने वाले नेताओं को सुनना पसंद करूंगी.
वेम्बू का यह बयान अपने आप में उद्यमी उपासना कामिनेनी कोनिडेला की हाल ही में महिलाओं के लिए वित्तीय स्वतंत्रता के महत्व पर की गई टिप्पणी की प्रतिक्रिया थी. उन्होंने एग्स को फ्रीज करने का सुझाव दिया था और इसे महिलाओं के लिए सबसे बड़ा बीमा बताया था.
इन नेताओं को क्या हो गया? थापर ने 72 घंटे काम करने के अपने विचार की भी आलोचना की. एक इंटरव्यू मेंमूर्ति ने बताया कि चीन में दिन को 9-9-6 के हिसाब से बांटने के बारे में एक कल्चर है. उन्होंने कहा, आप जानते हैं, वहां एक कल्चर है, 9-9-6. इसका मतलब क्या है? सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक, हफ्ते में 6 दिन और इसका मतलब है सप्ताह में 72 घंटे काम.
थापर ने कहा कि मैं आपको कुछ संदर्भ समझाती हूं.जैसे ही आप 11 साल की होती हैं, आपको सप्ताह के सातों दिन खून बहना शुरू हो जाता है, फिर गर्भावस्था का दर्द शुरू होता है, फिर अगर आप अपने बच्चों को प्राथमिकता नहीं देतीं, तो आपको 'स्वार्थी' का तमगा मिल जाता है, और जब यह सब धीरे-धीरे ठीक होने लगता है, तो 10 साल आपके बर्बाद हो जाते हैं . हमारे कर्तव्य और अपने स्वास्थ्य, अपनी जरूरतों और अपने सपनों को प्राथमिकता देने का क्या?













