
'हड्डियां खाईं थीं, जमकर शराब पी थी...', श्मशान में ऐसे साधना करते थे IITian बाबा? खुद बताया सच
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अभय ने कहा, 'जो उन्होंने दिया वो मैंने खा लिया सब भगवान का प्रसाद है. नहीं पता कि वह किसकी हड्डी थी. जैसे में गया वहां बैठा तो साउथ के एक नागा थे या जो भी थे. वहां तीन चार लोग और थे. वो दारू पिलाते रहे कि ये ले महाकाली का प्रसाद. उस दिन मैंने बहुत सारे लोग से बात की. मैं सारे दिन बैठकर जटाएं बनाता रहा.
IIT वाले बाबा के नाम से वायरल हुए अभय सिंह ने प्रयागराज महाकुंभ का आश्रम छोड़ दिया है. अभय सिंह किसी अज्ञात स्थान पर चले गए हैं. दावा किया जा रहा है कि बीती रात जूना अखाड़े के 16 मडी आश्रम में अभय के माता-पिता उन्हें ढूंढते हुए पहुंचे थे. लेकिन तब तक अभय आश्रम छोड़ चुके थे.
आईआईटी ने ऐरोस्पेस इंजीनियरंग खत्म करने के बाद अभय की कनाडा में लाखों की नौकरी भी लगी थी लेकिन उनके मन में कुछ और ही चल रहा था इसलिए वह सब छोड़कर चले गए. इस बीच वह अघोरी से मिले और शमसान में उन्होंने साधना भी की.
अघोरी के पास जाकर हड्डी खाने पर क्या बोले आईआईटियन बाबा?
द लल्लनटॉप को दिए गए एक इंटरव्यू में अभय ने बताया कि जब वह शमशान में साधना करने गए थे, तो उन्होंने वहां क्या-क्या किया था. उन्होंने यह भी बताया कि एक बार तो उन्होंने शमशान में जाकर हड्डियां भी खाई थीं. जब उनसे इसके पीछे की वजह पूछी गई, तो उन्होंने बताया कि एक बार वह एक अघोरी बाबा से मिले थे, इसके बाद उन्होंने शमशान में साधना करने का निर्णय लिया. हालांकि, वह वहां सिर्फ कुछ ही समय के लिए रहे. अभय ने कहा कि एक रात वह अघोरी बाबा के साथ शमशान में थे, और उस समय उन्होंने हड्डी खाई थी.
अभय ने कहा, 'जो उन्होंने दिया वो मैंने खा लिया सब भगवान का प्रसाद है. नहीं पता कि वह किसकी हड्डी थी. जैसे मैं गया वहां बैठा तो साउथ के एक नागा थे या जो भी थे. वहां तीन चार लोग और थे. वो दारू पिलाते रहे कि ये ले महाकाली का प्रसाद है. उस दिन मैंने बहुत सारे लोग से बात की. मैं सारे दिन बैठकर जटाएं बनाता रहा. उसने मुझे अघोर का मंत्र भी दिया. जो उन्होंने मुझे दिया मैंने खा लिया फिर उन्होंने दूसरे को दिया तब मैंने देखा अरे ये तो हड्डी है फिर सोचा चलो कोई नहीं, सब भगवान का प्रसाद है.' अभय ने आगे कहा, 'एक दिन में अधोर साधना नहीं होती लेकिन मेरी चीजें अपने आप सिद्ध हो जाती हैं.' अभय ने बताया कि जरूरी नहीं है कि श्मशान में सालों तक बैठकर ही आप तपस्या करें यह इंसान के ऊपर निर्भर करता है.'
कैसे कुंभ पहुंचे थे अभय

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