
'सिर्फ रूसी तेल का मामला नहीं, भारत और अमेरिका...' US वित्त मंत्रालय ने टैरिफ पर कह दी बड़ी बात!
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगी ने भारत पर टैरिफ को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि चाहे कुछ भी हो, मुझे लगता है कि भारत और अमेरिका आखिरी में एक साथ आएंगे.
अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ की वजह से व्यापारिक तनाव बढ़ चुका है. अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगा दिया है. इस बीच, अमेरिका के वित्त मंत्रालय की ओर से बड़ा बयान सामने आया है. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने बुधवार को कहा बड़ा दावा कर दिया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले के बावजूद, अमेरिका और भारत आखिरी में एक साथ आएंगे.
फॉक्स न्यूज से बात करते हुए, उन्होंने जोर देकर कहा कि व्यापार तनाव केवल नई दिल्ली द्वारा रूसी तेल की खरीद तक सीमित नहीं है. उन्होंने कहा कि यह एक कॉम्पिकेटेड रिलेशन है. राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी के बीच इस स्तर पर बहुत अच्छे संबंध हैं. यह सिर्फ रूसी तेल के मुद्दे पर नहीं है. भारत और अमेरिकी एक समझौते पर पहुंचेंगे.
उम्मीद थी कि भारत सबसे पहले कर लेगा डील उनका कहना है कि अप्रैल में टैरिफ के ऐलान के बाद ही भारत ने टैरिफ पर बातचीत शुरू कर दी थी, लेकिन अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है. मुझे लगा था कि मई या जून में हम कोई समझौता कर लेंगे. मुझे लगा था कि भारत शुरुआती समझौतों में से एक हो सकता है और उन्होंने बातचीत के दौरान हमें भी शामिल किया. फिर रूसी कच्चे तेल की खरीद का पहलू भी है, जिससे वे मुनाफा कमा रहे हैं. यहां कई स्तरों पर बातचीत चल रही है.
अमेरिका घाटे वाला देश, लेकिन... बेसेंट ने तर्क दिया कि व्यापार असंतुलन अंततः वाशिंगटन को लाभ देता है. उन्होंने कहा कि मैंने टैरिफ वार्ता के दौरान हमेशा यही कहा है. अमेरिका घाटे वाला देश है. जब व्यापार संबंधों में दरार आती है, तो घाटे वाले देश को फायदा होता है. चिंता दूसरे देशों को होनी चाहिए. इसी कारण भारतीय हमें प्रोडक्ट बेच रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत का टैरिफ सबसे ज्यादा है और हमरा भारत के साथ व्यापार घाटा ज्यादा है.
रुपया बहुत कमजोर है: अमेरिकी वित्त मंत्रालय भारत ने ब्रिक्स समूह के भीतर रुपये में कुछ व्यापार निपटाने के संकेत दिए हैं, लेकिन बेसेंट ने भारतीय मुद्रा के व्यापक वैश्विक प्रभाव पाने की संभावना को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, 'मुझे कई बातों की चिंता है. रुपये को रिजर्व करेंसी बनना उनमें से एक नहीं है. हमारे साथ व्यापार समस्या के बारे में, मुझे लगता है कि रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक निम्नतम स्तर के करीब है.'
दोनों देशों पर बहुत कुछ लगा है दाव टैरिफ में तेज बढ़ोतरी के बावजूद, बेसेंट ने जोर देकर कहा कि दोनों पक्षों के लिए बहुत कुछ दांव पर लगा है और व्यापारिक संबंधों को टूटने नहीं देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. मुझे लगता है कि अंततः हम एक साथ आएंगे.













