
शेक्सपियर का नाटक, मिट्टी की गुल्लक और 'पुष्पा 2' का धमाका... ये है 'बॉक्स ऑफिस' की ब्लॉकबस्टर कहानी
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आखिर फिल्मों की कामयाबी को बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से नापने का सिलसिला शुरू कैसे हुआ? इस बॉक्स ऑफिस में कौन सा बॉक्स है और कौन सा ऑफिस? इसका इतिहास क्या है और शेक्सपियर जैसे अंग्रेजी के महानतम नाटककारों से इसका क्या कनेक्शन है? आइए आज बॉक्स ऑफिस की इस पूरी आभा में गोता लगते हैं...
2017 में रिलीज हुई 'बाहुबली 2' ने बॉक्स ऑफिस पर ऐसा इतिहास रचा कि बड़े- बड़े फिल्म बिजनेस एक्सपर्ट हैरान रह गए. तेलुगू से डब होने के बावजूद ये पहली फिल्म बनी जिसने हिंदी में 400 करोड़ का माइलस्टोन पार किया. इस बात को अभी एक दशक भी पूरा नहीं हुआ और 2024 के अंत में आई 'पुष्पा 2' तो फायर ही साबित हो गई.
अल्लू अर्जुन की फिल्म ने हिंदी बॉक्स ऑफिस पर छप्पर फाड़ कमाई कर डाली और हिंदी फिल्मों की कमाई की लिमिट 800 करोड़ तक खींच दी. बॉलीवुड के बड़े-बड़े स्टार देखते रह गए और पुष्पा भाऊ ने मुशायरा लूट लिया. इस हफ्ते विक्की कौशल की 'छावा' रिलीज हो रही है और एडवांस बुकिंग के ट्रेंड कहते हैं कि ये बॉक्स ऑफिस पर छा जाने के लिए तैयार है.
बॉक्स ऑफिस की बात निकलेगी तो ये भी देखा जाएगा कि साउथ से आ रहीं पैन इंडिया फिल्में, हिंदी में कमाई के रिकॉर्ड बना रही हैं. ये चर्चा होगी तो बहुत सारे फैन्स साउथ बनाम बॉलीवुड की होड़ छेड़ देंगे और फिर से बॉक्स ऑफिस आंकड़ों की जंग शुरू हो जाएगी. पिछले कुछ वक्त में कई फिल्ममेकर्स इस बात से खफा होने लगे हैं कि लोग अचानक बॉक्स ऑफिस पर इतनी बातें क्यों करने लगे हैं? जबकि अधिकतर फिल्ममेकर्स अपनी फिल्म के हर बॉक्स ऑफिस माइलस्टोन की अनाउंसमेंट शेयर करना नहीं भूलते.
आखिर फिल्मों की कामयाबी को बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से नापने का ये सिलसिला शुरू कैसे हुआ? इस बॉक्स ऑफिस में कौन सा 'बॉक्स' है और कौन सा 'ऑफिस'? इसका इतिहास क्या है और शेक्सपियर जैसे अंग्रेजी के महानतम नाटककारों से इसका क्या कनेक्शन है? आइए आज बॉक्स ऑफिस की इस पूरी आभा में गोता लगते हैं...
शेक्सपियर से क्या है बॉक्स ऑफिस का कनेक्शन?
अंग्रेजी के महानतम लेखक कहे जाने वाले विलियम शेक्सपियर जिस कंपनी के लिए नाटक लिखा करते थे, वो लंदन के ग्लोब थिएटर में परफॉर्म करती थी. ये बात 16वीं सदी की है. इतिहास कहता है कि शेक्सपियर ने ग्लोब थिएटर में जाने से पहले अपने शुरुआती दो नाटक लंदन के ही रोज थिएटर के लिए लिखे थे.













