वो आर्टिस्ट जिसके गिटार ने कर्ज-आशिकी जैसी धुनों को बना दिया अमर, 500 फिल्मों में किया काम
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'कर्ज' का म्यूजिक कंपोज किया था आने दौर की टॉप संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने. लेकिन म्यूजिक कंपोज करने का मतलब ये नहीं होता कि इन दोनों ने सारे इंस्ट्रूमेंट भी खुद प्ले किए. तो क्या आप जानते हैं कि 'कर्ज', 'आशिकी' और 'एक दूजे के लिए' जैसी 500 फिल्मों में गिटार की धुनों का जादू बिखेरने वाला जादूगर कौन था?
गिटार प्लेयर बनने का चस्का रखने वाले किसी भी व्यक्ति के खून में अगर थोड़ा भी बॉलीवुड प्रेम बह रहा है, तो वो अपने गिटार पर बॉलीवुड की कुछ आइकॉनिक धुनें जरूर आजमाता है. ऐसी ही धुनों में से एक है 1980 में आई फिल्म 'कर्ज' के गाने 'एक हसीना थी' की धुन. इस गाने में जो गिटार की धुन है वो फिल्म के थीम म्यूजिक में भी है.
अपने वक्त में जब 'कर्ज' थिएटर्स में रिलीज हुई तो थिएटर्स में फ्लॉप हो गई थी. ये बात फिल्म के एक्टर ऋषि कपूर और डायरेक्टर सुभाष घई ने खुद अपने कई इंटरव्यूज में स्वीकार की है. मगर 'कर्ज' का म्यूजिक ऐसा पॉपुलर हुआ कि सिर्फ गानों के लिए बहुत लोगों ने बाद में इस फिल्म की तरफ मुड़कर देखना शुरू कर दिया. 'कर्ज' का म्यूजिक कंपोज किया था आने दौर की टॉप संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने. लेकिन म्यूजिक कंपोज करने का मतलब ये नहीं होता कि इन दोनों ने सारे इंस्ट्रूमेंट भी खुद प्ले किए. तो क्या आप जानते हैं कि 'कर्ज', 'आशिकी' और 'एक दूजे के लिए' जैसी 500 फिल्मों में गिटार का जादू बिखेरने वाला जादूगर कौन था?
गिटार का जादूगर गोरख शर्मा 'कर्ज' की आइकॉनिक थीम संगीत के जिस जादूगर के गिटार से पहली बार निकली थी, उनका नाम है गोरख शर्मा. हिंदी सिनेमा के गोल्डन दौर यानी 1950 के दशक में एक म्यूजिक डायरेक्टर थे पंडित रामप्रसाद शर्मा. गोरखपुर के रहने वाले रामप्रसाद को संगीत का ऐसा ज्ञान था कि नौशाद, सी. रामचंद्र, उत्तम सिंह लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और अनु मलिक जैसे कई बड़े म्यूजिक डायरेक्टर्स ने उनसे कभी न कभी, कुछ न कुछ सीखा था.
गोरख शर्मा इन्हीं रामप्रसाद शर्मा के घर 28 दिसंबर 1946 में जन्मे थे. पिता से ही म्यूजिक की बेसिक ट्रेनिंग लेने वाले गोरख, बहुत कम उम्र में म्यूजिक नोटेशन पढ़ना और कई म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट प्ले करना सीख गए थे. तार वाले म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स प्ले करने में उन्हें खास महारत हासिल थी. ऐसा ही एक इंस्ट्रूमेंट है मैन्डोलिन, जो आपने 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में शाहरुख खान के हाथ में देखा होगा. गोरख शर्मा ने फिल्मों में अपनी शुरुआत यही इंस्ट्रूमेंट प्ले करने से की थी.
14 साल की उम्र से थे हिंदी फिल्म म्यूजिक का हिस्सा रुआत में गोरख एक छोटे से म्यूजिकल ग्रुप का हिस्सा थे जिसका नाम था बाल सुरील कला केंद्र. इस ग्रुप में हृदयनाथ मंगेशकर, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर, लक्ष्मीकांत कुदालकर और गोरख के बड़े भाई, प्यारेलाल शर्मा समेत कई कलाकार थे. इन सभी ने आगे चलकर बहुत नाम कमाया. जहां बाद में लक्ष्मीकांत ने प्यारेलाल ने साथ मिलकर फिल्मों के लिए म्यूजिक कम्पोज करना शुरू किया. वहीं प्यारेलाल के छोटे भाई गोरख, इस जोड़ी के रेगुलर साथी बन गए. 1960 में आई गुरुदत्त की आइकॉन फिल्म 'चौदवीं का चांद' में, मुखड़े और अंतरे के बीच में आपको जो मैन्डोलिन की धुन सुनाई देती है, वो गोरख शर्मा ही प्ले कर रहे थे. तब उनकी उम्र केवल 14 साल थी.
मैन्डोलिन के मास्टर बन चुके गोरख शर्मा ने एनिबल कास्त्रो से गिटार सीखा था. एनिबल को अक्सर भारत का बेस्ट जैज म्यूजिशियन कहा जाता था और गिटार स्किल्स के मामले में उनका नाम लैरी कोरीएल और माइल्स डेविस जैसे इंटरनेशनल लेजेंड्स के साथ लिया जाता है. गोरख ने गिटार भी ऐसा साधा कि आने वाले तीन दशकों में उनकी धुनें फिल्मी गानों में गूंजती रहीं. रिपोर्ट्स बताती हैं कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बेस गिटार प्ले करने वाले पहले म्यूजिक आर्टिस्ट गोरख शर्मा ही थे.













