
'रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर दबाव नहीं...' टैरिफ टेंशन के बीच यूक्रेनी राजदूत का बड़ा बयान!
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अमेरिका ने भारत पर हैवी टैरिफ लगा दिया है, जिसके पीछे तर्क देते हुए कहा है कि भारत रूसी तेल खरीदकर रूस की युद्ध में आर्थिक तौर पर मदद कर रहा है. इस बीच, यूक्रेन के राजदूत का कहना है कि भारत के रूसी तेल खरीदने से यूक्रेन को कोई नुकसान नहीं है.
जहां एक तरफ अमेरिका ने भारत पर Russia Oil खरीदने को लेकर टैरिफ लगाया है, वहीं यूक्रेन के राजदूत का एक बड़ा बयान आया है. यूक्रेनी राजदूत का कहना है कि भारत एक 'संप्रभु देश' है और मॉस्को से कच्चा तेल खरीदते समय उसे 'अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी होगी'. एक इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट किया कि रूसी कच्चा तेल खरीदने को लेकर भारत पर कोई दबाव नहीं है.
यूक्रेनी राजदूत ने आगे कहा कि इस मुद्दे पर किसी भी चिंता पर द्विपक्षीय तौर पर चर्चा की जा सकती है. यूक्रेनी राजदूत पोलिशचुक का यह बयान ऐसे समय में आई है जब भारत रूस से तेल आयात को लेकर अमेरिका के बढ़ते दबाव का सामना कर रहा है.
भारत की ओर से रूसी तेल की लगातार खरीद के जवाब में अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर एक्स्ट्रा 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है. अब अमेरिका में एंट्री लेने वाले कई भारतीय प्रोडक्ट्स पर 50 फीसदी टैरिफ है.
इसके बावजूद, पोलिशचुक ने जोर देकर कहा कि यूक्रेन भारत की स्थिति को समझता है. इंटरव्यू में यूक्रेनी राजदूत ने कहा कि यह कहना आसान नहीं है कि भारत को कैसा व्यवहार करना चाहिए. हम भारत सरकार पर दबाव नहीं डाल रहे हैं और भारत को राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी होगी, लेकिन यूक्रेन के साथ-साथ हमें भी अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी होगी.
भारत के रूसी तेल खरीदने से यूक्रेन को कोई नुकसान नहीं पोलिशचुक ने कहा कि रूस के साथ भारत के तेल व्यापार से यूक्रेन के भारत के साथ संबंधों को कोई बुनियादी नुकसान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जो भारत के साथ हमारे दीर्घकालिक संबंधों और भारत के साथ हमारे वर्तमान संबंधों को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा. ऐसे सभी समस्याओं पर द्विपक्षीय रूप से चर्चा की जा सकती है और मैं व्यक्तिगत तौर से बहुत खुश हूं कि हमारे नेताओं के बीच ऐस नियमित संवाद होता है.
भारत पर मुनाफा कमाने का आरोप अमेरिकी अधिकारियों ने भारत पर चल रहे यू्क्रेन युद्ध से 'मुनाफा कमाने' का आरोप लगाया है. वहीं भारत के नीति-निर्माताओं का तर्क है कि अमेरिका का गुस्सा सिर्फ रूसी तेल को लेकर नहीं है. चीन, जो रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, अमेरिका से बिना दंड के रूसी तेल खरीद रहा है. इस विसंगति ने टैरिफ के पीछे की असली मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.













