
'भारत ने रोका ग्लोबल संकट, नहीं खरीदता रूसी तेल तो आज...' रिपोर्ट में बड़ा खुलासा!
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उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि भारत ने रूसी तेल खरीदकर ग्लोबल संकट को आने से रोका है. एक वक्त ऐसा भी था जब रूसी तेल के ग्लोबल चेन से बाहर होने भर की आशंकाओं से ब्रेंड क्रूड के दाम 137 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गए थे.
अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत पर टैरिफ को बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक कर दिया है और बार-बार भारत पर हमला बोल रहा है. ट्रंप के सहयोगी पीटर नवारो ने यहां तक दावा किया है कि यूक्रेन संघर्ष असल में 'मोदी का युद्ध' है, और आरोप लगाया कि भारत रियायती तेल खरीद के जरिए रूस का समर्थन कर रहा है.
इस बीच, उद्योग सूत्रों ने कई तथ्यों के हवाले से सभी झूठ को खारिज कर दिया है और यह बताया है कि अगर भारत रूसी तेल नहीं खरीदता तो वैश्विक स्तर पर परिणाम कितने भयानक हो सकते थे. सूत्रों का कहना है कि भारत ने रूसी तेल खरीदकर एक ग्लोबल संकट को रोका. अगर भारत खरीदना बंद कर देता, तो आज कच्चे तेल की कीमत 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती थी.
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट में सोर्स के हवाले कहा गया है कि भारत के आयात ने वैश्विक बाजारों को स्थिर किया है और रूस को आर्थिक मदद देने के बजाय, दुनियाभर के कंज्यूमर्स के लिए ईंधन की कीमतों को स्थिर बनाए रखने में मदद की है. इस कदम की अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन समेत कई इंटरनेशनल हस्तियों ने भी सराहना की है.
जब 137 डॉलर प्रति बैरल हुआ था कच्चा तेल ग्लोबल मार्केट से रूसी तेल के बाहर हो जाने की पिछली आशंकाओं ने ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ा दी थीं. मार्च 2022 में इसकी कीमत 137 डॉलर प्रति बैरल उच्च स्तर पर पहुंच चुका था. जिसके बाद भारत ने रूसी तेल की खरीदारी करते हुए ग्लोबल स्थिति को संभाला है. ANI के सूत्रों के अनुसार, भारत ने नियमों के तहत ही रूसी तेल की खरीदारी की है और किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है.
नवारो का क्या है दावा ट्रंप के सहयोगी पीटर नवारो ने इस सप्ताह के शुरुआत में ही ब्लूमबर्ग को एक इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि भारत रियायती दर पर तेल खरीदकर रूस की मदद कर रहा है. अगर भारत रूसी तेल को खरीदना अभी बंद कर दे तो उसे अमेरिकी टैरिफ में तुरंत 25 फीसदी की छूट मिल सकती है. नवारो ने कहा कि यूक्रेन में शांति का रास्ता, भारत से होकर जाता है.













