बैंक अकाउंट चीख मारने लगा, तब किया समझौता... मां-बाप को लगा बेटा पागल है - अमित सियाल
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अमित सियाल बॉलीवुड के उन एक्टर्स में से हैं, जिन्होंने अपनी विविधरंगी किरदारों से दर्शकों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई है. अमित हमसे अपनी एक्टिंग की जर्नी, करियर के उतार-चढ़ाव पर बातचीत करते हैं.
अमित सियाल की फिल्म 'येलो बस' हाल ही में मामी फिल्म फेस्टिवल पर प्रीमियर हुई थी. फिल्म को जबरदस्त सराहना भी मिली. अमित हमसे इस मुलाकात के दौरान फिल्म फेस्टिवल के फायदे, अपनी फिल्मी करियर और भी तमाम चीजों पर खुलकर बातचीत करते हैं.
फिल्म फेस्टिवल्स के फायदे पर अमित कहते हैं,'फिल्म के प्रोड्यूसर और डायरेक्शन के नजरिये से देखा जाए, तो यह तसल्ली मिलती है कि चलो हमने जो फिल्म बनाई है, उसे लोगों द्वारा पसंद किया जा रहा है. वहीं दूसरा फायदा प्रोड्यूसर के नजरिए से यही होता है कि एक प्लेटफॉर्म मिल जाता है उन्हें अपनी फिल्म को शोकेस करने का, जिससे डिस्ट्रीब्यूशन के लिए उसे कैसे रिलीज की जाएगी, इसका पुश मिलता है. फिल्म के बारे में जब बातें होती हैं, तो इसका प्रचार भी हो जाता है. फिल्म फेस्टिवल्स में इस तरह की फिल्मों का आना और लोगों का देखना क्रिएटिवली बहुत खूबसूरत बात होती है.'
काम ईमानदारी से करूं
अमित ने अपने करियर की शुरुआत 2006 से की थी. इंडस्ट्री में जमीन तलाशने की बात पर अमित कहते हैं, मैंने उसी वक्त जमीन तलाश ली थी, जब मैंने सोच लिया था कि मुझे एक्टर ही बनना है और कुछ नहीं करना. इंडस्ट्री और ऑडियंश के नजरों में जगह बनाने की बात है, तो उसका अपना प्रोसेस होता है. किसी को जल्दी मिल जाता है, किसी को बरसों लग जाते हैं. एक एक्टर के तौर पर मेरी यही कोशिश रही है कि जो भी काम करूं, सच्चे मन से करूं. मुझे अपने काम में इमानदारी महसूस होनी चाहिए. बाकि चीजों पर आपका कंट्रोल नहीं है. काम अच्छा करते रहेंगे, तो आपको मौके और भी मिलते रहेंगे. उस लिहाज से देखा जाए, तो मैंने अपनी थोड़ी बहुत जगह बना ली है. मेरी कोशिश यही रहती है कि बस अपनी जगह को और पुख्ता करूं.
मिडियोक्रेसी को सेलिब्रेट करता देख खीझ बढ़ती थी
अमित कहते हैं, जब मैं यहां लोगों को मेडियोक्रिटी को सेलिब्रेट करता देखता था, तो मुझे बड़ी खीझ होती थी. जब काम की शुरुआत की थी, तो पहले बहुत गुस्सा आता था. हालांकि मैंने ये समझा है कि कंपलेन करने की बजाए, मैं खुद पर ध्यान दूं. अपने क्राफ्ट को संवारकर आगे बढ़ता जाऊं. मैं ऐसा मानने लगा हूं कि जो भी किसी मुकाम पर है, तो उसका कोई न कोई कारण है. क्योंकि यहां चीजें एक पैटर्न पर काम नहीं करती हैं. यहां आपके लिए क्या काम हो रहा है, आप उसपर फोकस करो. ये तो जरूरी नहीं है कि कोई बहुत बड़ा स्टार है, जो पांच दस हजार करोड़ का आदमी है, तो तुम्हें भी वही बनना है. इतने पैसे की तो जरूरत होती नहीं है. अगर आप अपना काम अच्छे से करते रहते हैं, तो आपको यह इंडस्ट्री उस हिसाब से पैसे भी देती है. बुरा वक्त जब आता है, तो उस वक्त अपना धैर्य बनाए रखना होता है. क्योंकि वक्त तो एक सा नहीं होता है.
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