
बदल रही बिहार की इकोनॉमी... मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर कर रहा कमाल, देखें ये आंकड़े
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बिहार का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर तेजी से ग्रोथ दिखा रहा है. पहली बार ऐसा हुआ है कि बिहार के उद्योग ने एग्रीकल्चर सेक्टर को पीछे छोड़कर राज्य के विकास में ज्यादा योगदान दिया है.
बिहार की अर्थव्यवस्था का स्वरूप बदल रहा है. यहां इंडस्टीज सिर्फ पनप ही नहीं रही है, बल्कि अब विकास की बागडोर संभालने लगी है. ऐसा पहली बार हुआ है कि राज्य के आर्थिक उत्पादन में उद्योग की हिस्सेदारी कृषि से आगे निकल गई है. जबकि पहले एग्रीकल्चर ही बिहार के विकास में सबसे आगे था. आइए कुछ आंकड़ों में देखते हैं कि बिहार की इकोनॉमी कैसे बदल रही है...
सबसे पहले ये आंकड़ें देखें
उद्योग ने कृषि को पीछे छोड़ा वित्त वर्ष 2011-12 में बिहार के ग्रॉस वैल्यू असेट (GVA) में कृषि का योगदान 25.7 प्रतिशत था, जबकि उद्योग का योगदान लगभग सात प्रतिशत अंक कम यानी 18.8 प्रतिशत था. वित्त वर्ष 2012-13 में यह अंतर और भी बड़ा, 12.3 प्रतिशत अंक था, जब कृषि का योगदान 27.7 प्रतिशत और उद्योग का केवल 15.4 प्रतिशत था. हालांकि इसके बाद यह अंतर कम हुआ, लेकिन फिर भी 2023-24 तक कृषि का योगदान उद्योग के योगदान से अधिक रहा.
वित्त वर्ष 2024-25 में, पहली बार उद्योग ने राज्य में कृषि के योगदान को पीछे छोड़ दिया. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष में कृषि का योगदान 22.4 प्रतिशत और उद्योग का योगदान 23.2 प्रतिशत रहा.
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की डबल ग्रोथ बिहार में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि एक दशक पहले शुरू हुई थी. नीति आयोग के अनुसार, भारत में विनिर्माण क्षेत्र में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले, बिहार में 2013-14 और 2022-23 के बीच 17.4 प्रतिशत की क्षेत्रीय वृद्धि देखी गई. इसी अवधि में, बिहार में कृषि की वृद्धि दर 2.6 प्रतिशत रही, जबकि देश की औसत वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रही.













