
पूड़ियां बनाईं, सब्जी काटी... श्री जगन्नाथ रथयात्रा में परिवार के साथ शामिल हुए गौतम अडानी
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अडानी ग्रुप ने पुरी धाम में ‘प्रसाद सेवा’ की शुरुआत की है. अडानी ग्रुप 26 जून से 8 जुलाई तक चलने वाले इस भव्य रथ यात्रा के दौरान सभी तीर्थयात्रियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं दोनों के लिए महाप्रसाद देने का लक्ष्य रखा है.
अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी (Gautam Adani), अपनी पत्नी प्रीति अडानी और बेटे करण अडानी के साथ शनिवार को देश के सबसे बड़े धार्मिक महोत्सव में शामिल होने के लिए ओडिशा के पुरी पहुंचे. गौतम अडानी ने अपने परिवार के साथ श्री जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) में भाग लिया. अडानी इस यात्रा में पूरे 9 दिनों तक भाग लेंगे.
श्री जगन्नाथ रथ यात्रा में अडानी समूह महाकुंभ की तरह ही एक बड़ा काम भी कर रहा है. अडानी ग्रुप ने पुरी धाम में ‘प्रसाद सेवा’ की शुरुआत की है. अडानी ग्रुप 26 जून से 8 जुलाई तक चलने वाले इस भव्य रथ यात्रा के दौरान सभी तीर्थयात्रियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं दोनों के लिए महाप्रसाद देने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए पुरी में कई किचन भी खोले गए हैं, यहां लोगों को महाप्रसाद के तौर पर भोजन बांटे जाएंगे.
पूड़ियां बनाई, सब्जी काटे... कहा जा रहा है कि भगवान श्री जगन्नाथ जी के यात्रा के दौरान ही गौतम अडानी इस्कॉन रसोई में भी गए. जहां पर उन्होंने तीर्थयात्रियों के लिए महाप्रसाद तैयार कराने में भी मदद की. अडानी ग्रुप के चेयरमैन ने लोगों के लिए पूड़ियां बनाई और जमीन पर बैठकर सब्जी और फल भी काटे. इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी के साथ पूरी रसोई की व्यवस्था का जायजा भी लिया.
गौतम अडानी ने कहा कि महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की असीम कृपा से हमें पुरी धाम की पावन रथयात्रा में सेवा का सौभाग्य मिला है. यह वह पल है, जब खुद भगवान अपने भक्तों के बीच आकर उन्हें दर्शन देते हैं. यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि भक्ति, सेवा और समर्पण का उत्सव है. मेरे पास कुछ भी नहीं था, लोगों की प्रर्थाना और भगवान की कृपा से आज मेरे पास सबकुछ है. मैंने हमारे देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए और ओडिशा के विकास के लिए मैंने भगवान से प्रर्थना की, कि हमारा देश आगे बढ़ता रहे.
गौरतलब है कि ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जा रही है. भगवान जगन्नाथ इस यात्रा में अपने भाई-बहनों के साथ रथयात्रा पर निकलते हैं और फिर देवी गुंडिचा के घर जाते हैं. यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम या उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक जीवटता का प्रतीक भी है. यहां कोई ऊंच-नीच का भाव नहीं रहता. सभी एकसााथ मिलकर भागवान की इस यात्रा में शामिल होते हैं.













