
नाम में क्या रखा है? ये मत कहना... नाम बदलते ही ये कंपनी हुई बर्बाद, गोदाम में पड़ा रहा माल!
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बीयर मार्केट में तेजी से आगे बढ़ने वाली एक कंपनी कुछ ही महीने में संकट में आ गई और अब आलम है कि वह कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे पा रही है. यह सबकुछ सिर्फ इसलिए हुआ, क्योंकि कंपनी ने अपना नाम चेंज कर लिया.
बीयर बनाने वाली इस कंपनी की हालत खराब हो चुकी है. कभी बीयर मार्केट इसकी अच्छी हिस्सेदारी थी, लेकिन अब यह गहरे संकट में है. यह अपने कर्मचारियों को सैलरी भी नहीं दे पा रही है. कुछ कर्मचारियों का तो यहां तक कहना है कि कंपनी उन लोगों को 7 महीने से सैलरी नहीं दी है. हम बात कर रहे हैं BIRA91 की.
कंपनी के मौजूदा संकट के दौरान एक और मोड़ आ चुका है. निवेशकों ने बीरा 91 के अंतर्गत आने वाली लोकप्रिय पब चेन द बीयर कैफ़े पर कब्ज़ा कर लिया है, क्योंकि कंपनी ने कैफे बिजनेस के शेयरों के बदले लोन का भुगतान नहीं किया गया है. इसी मुद्दे को लेकर मामला अब दिल्ली उच्च न्यायालय में है, जिसने गिरवी रखे गए शेयरों की बिक्री या ट्रांसफर पर फिलहाल रोक लगा दी है. लेकिन यह साफ है कि कंपनी बर्बाद हो रही है और कंपनी का कंट्रोल भी हटता जा रहा है.
7 महीने से सैलरी नहीं बांटी बीरा 91 की पैरेंट कंपनी B9 बेवरेजेस लिमिटेड के 250 से ज्यादा वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों ने सरकारी अधिकारियों और निवेशकों को पत्र लिखकर बताया है कि उन्हें महीनों से सैलरी नहीं मिली है. कुछ का कहना है कि वेतन में सात महीने तक की देरी हो रही है. सैलरी में टैक्स कटौती तो की गई है, लेकिन डिपॉजिट नहीं की गई है. PF और ग्रेच्युटी का भी पेमेंट नहीं किया गया है. लोग गुस्से में हैं, वे संस्थापक और सीईओ अंकुर जैन से भी इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं. यह सिर्फ पैसे की समस्या नहीं है, यह विश्वास की समस्या है.
सिर्फ नाम बदलने से बिगड़ गया खेल? इसने सिर्फ नाम चेंज किया और खेल बिगड़ गया. दरअसल, साल 2023 के अंत में बीरा की मूल कंपनी को एक पब्लिक कंपनी में बदलना था. ऐसे इसने B9 Beverages Private Ltd. ने अपना नाम बदलकर B9 Beverages Ltd. कर लिया है. कागजों पर तो यह सामान्य तरीके से नाम बदल दिया गया. लेकिन शराब के कारोबार में कंपनी का नाम बदलने से राज्य के शराब लाइसेंस के लिए दोबारा आवेदन करना पड़ा. आलम ये हुआ कि कई महीनों तक ये मंजूरियां नहीं मिलीं.
जिस कारण बीयर का उत्पादन तो हो रहा था, लेकिन उसे बेचा नहीं जा पा रहा था. उद्योग के जानकारों का अनुमान है कि लगभग 80 करोड़ रुपये का माल गोदामों में बेकार पड़ा था. कैश फ्लो कम हो गया, देनदारियां बढ़ गईं. इसके बाद 5 से 6 महीने में ही इस कंपनी के साथ बड़ा खेल हो गया.
भारी घाटे में कंपनी वित्त वर्ष 2024 में, राजस्व घटकर लगभग 638 करोड़ रुपये रह गया, जबकि घाटा बढ़कर लगभग 750 करोड़ रुपये हो गया. कुल घाटा 1,900 करोड़ रुपये को पार हो चुका है. एक्सपर्ट ने इस कंपनी के ऑपरेशन पर संदेह जताया है. वहीं 500 करोड़ रुपये का फंड जुटाने की योजना भी फेल हो चुकी है. कंपनी के नॉन-लिस्टेड शेयरों की कीमत पिछले 3 साल में 70 फीसदी से ज्यादा टूट गई है.













