
'देश के लिए साथ खड़े होने का वक्त है', ऐतिहासिक फिल्मों की जरूरत पर बोले सुनील शेट्टी
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आजतक संग एक्सक्लूसिव बातचीत में सुनील शेट्टी ने ऐतिहासिक फिल्मों को बनाने की जरूरत पर बात की. इसी बातचीत के दौरान उन्होंने खुद को यूनिफॉर्म में एक्टर भी बताया.
सुनील शेट्टी जल्द ही फिल्म 'केसरी वीर' में एक योद्धा का किरदार निभाते नजर आने वाले हैं. ये फिल्म उन अनजाने योद्धाओं की कहानी आपके सामने लेकर आ रही है, जिन्होंने सोमनाथ मंदिर को घुसपैठियों से बचाया था. इंडिया टुडे/आजतक संग एक्सक्लूसिव बातचीत में सुनील शेट्टी ने ऐतिहासिक फिल्मों को बनाने की जरूरत पर बात की. इसी बातचीत के दौरान उन्होंने खुद को यूनिफॉर्म में एक्टर भी बताया.
ऐतिहासिक फिल्मों पर बोले सुनील शेट्टी
सुनील शेट्टी ने कहा, 'मैं सही में मानता हूं कि भारत एक खूबसूरत देश है और हम सभी को खड़े होकर ये कहने की जरूरत है कि ये मेरा देश है, मेरा राज्य है और ये मेरे हीरो और उनकी कहानियां हैं. मुझे लगता है कि बीते कई सालों में हम सबने कई ऐतिहासिक फिल्में बनती देखी हैं और लोग इनसे जुड़ रहे हैं. वो हमारी संस्कृति, त्योहार के बारे में बात कर रहे हैं और हमारे इतिहास को सेलिब्रेट कर रहे हैं. मैं ये बदलाव अपने घर में देख रहा हूं. तो मुझे यकीन है कि ये हर जगह हो रहा होगा.'
सुनील ने इस बात पर भी जोर दिया कि कहानी सुनाने के तरीके में भी बदलाव किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि जैसे हमेशा से गुजरात की छवि एक ऐसी जगह के रूप में बनी रही है जो बिजनेस, खाने, परिवार और त्योहारों के लिए जाना जाता रहा है. लेकिन पहली बार वहां के हीरोज की कहानी को दिखाया जा रहा है, जो मुगलों के खिलाफ खड़े हुए. जिन्होंने अपने लोगों, मंदिरों और यहां तक कि भगवान शिव के लिए लड़ाई लड़ी.
नफरत फैलाती हैं ऐसी फिल्में?
सुनील शेट्टी ने इस बारे में भी बात की कि कैसे आज के वक्त में इन फिल्मों को लेकर समाज में अलग-अलग विचारधाराएं फैल गई है. ये हमें फिल्म 'छावा' की रिलीज के बाद भी देखने को मिला. ऐसे में एक्टर से पूछा गया कि क्या ऐसी फिल्में समाज में धर्मनिरपेक्षता पर वार करती हैं और एक समुदाय की तरफ नफरत फैलाती हैं. इसपर सुनील ने कहा, 'बिल्कुल भी नहीं, कम से कम हमारी फिल्म तो ऐसा नहीं करती. एक भी बार इसमें किसी एक समुदाय के खिलाफ कुछ नहीं कहा गया है. इसमें कोई नफरत नहीं है. हिंदू और सनातन धर्म, किसी धर्म के बारे में नहीं हैं बल्कि धर्म और कर्म के बारे में हैं. अंत में ये एक दूसरे की तरफ सहानुभूति रखने के बारे में है. ये हमारी फिल्म की खूबसूरती भी है, जिसमें लोग नहीं चाहते कि बाहर के लोग हमारे देश में नफरत फैलाएं. और यही हमारी अभी की हालत हम सभी से डिमांड भी कर रही है.'

आशका गोराडिया ने 2002 में एक यंग टेलीविजन एक्टर के रूप में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कदम रखा था. 16 साल बाद उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया. इसका कारण थकान नहीं, बल्कि एक विजन था. कभी भारतीय टेलीविजन के सबसे यादगार किरदार निभाने वाली आशका आज 1,800 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन वाली कंपनी की कमान संभाल रही हैं.












