
ट्रंप का टैरिफ होगा बेअसर... तेजी से दौड़ेगी भारत की इकोनॉमी, और भी घट जाएगी महंगाई
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आरबीआई का ये अनुमान ऐसे वक्त में आया है, जब भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि 2024-25 में 6.5 प्रतिशत तक कम हो गई है. वहीं ग्लोबल इकोनॉमी की बात करें तो RBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह 2025 में 2.8 प्रतिशत और 2026 में 3.0 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी.
अमेरिकी टैरिफ और पाकिस्तान से तनाव का असर भारत पर नहीं पड़ने वाला है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ने वाली है. RBI ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए तैयार है.
आरबीआई का ये अनुमान ऐसे वक्त में आया है, जब भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि 2024-25 में 6.5 प्रतिशत तक कम हो गई है. वहीं ग्लोबल इकोनॉमी की बात करें तो RBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह 2025 में 2.8 प्रतिशत और 2026 में 3.0 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी.
महंगाई 4 फीसदी के करीब रहेगी महंगाई को लेकर RBI ने आज जारी 2024-25 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि कंज्यूमर प्राइस कम बने रहने के साथ ही 12 महीने की अवधि में 4 प्रतिशत के लक्ष्य के करीब पहुंच जाएगी. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए संभावनाएं अभी भी आशाजनक बनी हुई हैं. नरम महंगाई और मध्यम ग्रोथ के लिए मौद्रिक नीति को विकास के लिए सहायक होना चाहिए.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि कम महंगाई और मध्यम वृद्धि के कारण मॉनेटरी पॉलिसी को विकास को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए. साथ ही तेजी से विकसित हो रही ग्लोबल आर्थिक स्थितियों के प्रति भी सतर्क रहना चाहिए.
6.5 प्रतिशत रहने वाली है जीडीपी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए हेडलाइन महंगाई 4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. RBI की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने फरवरी से अब तक नीतिगत रेपो दर में कुल 50 आधार अंकों की कटौती की है, जबकि अप्रैल की नीति में रुख को उदार बनाया है, जो केंद्रीय बैंक के विकास पर ध्यान केंद्रित करने का संकेत देता है.
आशाजनक बनीं हुई हैं संभावनाएं RBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 2025-26 में संभावनाएं आशाजनक बनी हुई हैं, जिसे कंज्युमर डिमांड में सुधार, राजकोषीय समेकन के मार्ग पर चलते हुए कैपिटल एक्सपेंडेचर पर सरकार का निरंतर जोर, बैंकों और कॉरपोरेट्स की मजबूत बैलेंस शीट, आसान होती वित्तीय स्थिति, सेवा क्षेत्र का निरंतर लचीलापन और उपभोक्ता, व्यावसायिक आशावाद का मजबूत होना, और मजबूत आर्थिक बुनियादी बातों से समर्थन मिलेगा.













