
'झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में...' गाने का अमिताभ बच्चन से है गहरा संबंध, कहां से आया आइडिया, बन चुके हैं कई रीमेक्स
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आपने झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में गाना तो कई बार गाया होगा. पर शायद ही कभी ये सोचा होगा कि इस गाने को लिखने और बनाने का आइडिया कहां से आया होगा? तो चिंता मत कीजिए हम आपको बताते हैं, इस गाने के पीेछे की दिलचस्प कहानी. इस गाने का अमिताभ बच्चन से भी सॉलिड कनेक्शन है. तो ध्यान से पढ़िएगा.
'झुमका गिरा रे....बरेली के बाजार में...' गाना सुनते ही आपको याद आएंगी बॉलीवुड की खूबसूरत अदाकारा साधना. 'मेरा साया' फिल्म में लोगों के बीच नाचती-गाती, अपने डांस का जलवा बिखेरती साधना का कोई तोड़ ही नहीं है. आशा भोंसले का गाया ये गाना आज भी लोगों की जुबान पर रहता है. लेकिन एक गाने के पीछे कितने जज्बात...कितनी ही विचारधारा लगी होती है, इस बात से अक्सर लोग अनजान रहते हैं. बात सिर्फ इतनी ही नहीं है. हर गाने के पीछे लेखक की कोई ना कोई इंस्पिरेशन भी होती है. कभी किसी जगह-तो कभी किसी इंसान या कभी किसी के मुंह से निकली कोई बात ही गाने की शक्ल ले लेती है और बना जाती है नया इतिहास.
ऐसी ही एक कहानी आज आपको हम सुनाने जा रहे हैं. इन दिनों 28 जुलाई को रिलीज होने वाली फिल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी की खूब चर्चा है. इस फिल्म में 'झुमका गिरा रे...' का नया वर्जन क्रिएट कर 'व्हाट झुमका' से पुराने गाने को ट्रिब्यूट देने की कोशिश की गई है. अब इसमें वो कितना सफल हो पाए हैं, ये तो हम नहीं कह सकते, लेकिन ये जरूर बता सकते हैं कि इस गाने से उन्होंने पुरानी यादें जरूर ताजा कर दी हैं. जी हां, दरअसल झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में गाने के पीछे एक बड़ी ही दिलचस्प कहानी छुपी है, जो शायद ही कोई जानता होगा. वहीं अगर हम ये कहें कि इस गाने का अमिताभ बच्चन से भी सॉलिड कनेक्शन है, तो गलत नहीं होगा. आइये आपको बताते हैं पूरी कहानी.
लेकिन इससे पहले आपको एक ट्रिविया भी बताते चलें कि झुमका गिरा रे....गाना इतना फेमस हुआ था कि बरेली शहर जो सूरमा के लिए जाना जाता है, झुमका के लिए इतना पॉपुलर हुआ कि वहां के एक फेमस चौक का नाम झुमका चौराहा रख दिया गया था.
आते हैं कहानी पर... बात उस जमाने की है जब भारत का बंटवारा नहीं हुआ था. गीतकार राजा मेहंदी साहब, तेजी सूरी और हरिवंश राय बच्चन बेहद खास दोस्त हुआ करते थे. राजा मेहंदी साहब अक्सर अपने कामकाज के सिलसिले में बरेली जाया करते थे. उस दौर में सरदार खजान सिंह की बेटी तेजी सूरी और जाने माने कवि हरिवंश राय बच्चन की प्रेम कहानी काफी मशहूर हुआ करती थी. इस लव स्टोरी का जन्म भी बरेली जैसे शहर में ही हुआ था.
लगभग 80 साल पहले, जब हरिवंश राय बच्चन अपनी कलम का जादू देशभर में बिखेर चुके थे, हर कोई उन्हें पहचानने लगा था. लेकिन उस वक्त वो अपनी पहली पत्नी और पिता को खोने के गम से जूझ रहे थे. जानकारों की मानें तो, इस अकेलेपन को मिटाने के लिए हरिवंश अपनी दोस्त प्रोफेसर ज्योति प्रकाश के घर नए साल का जश्न मनाने पहुंचे थे. जहां मौजूद तेजी सूरी से उनकी पहली मुलाकात हुई. उन्हें देख हरिवंश की आंखें ठहर सी गई. लेकिन विडंबना ये थी कि तेजी की सगाई पहले ही किसी बिजनेसमैन से हो चुकी थी. पर उन्हें भी इस रिश्ते की कोई खुशी ना थी.
लेकिन बात बढ़ी और उस नए साल की पार्टी में कुछ ऐसा हुआ कि दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया. दरअसल, हरिवंश से कविता सुनाने को कहा गया. उनकी कविता सुनकर तेजी की आंखों से आंसू निकल आए, उन्हें रोता हुआ देख हरिवंश भी रो पड़े. दोनों के बीच के इन इमोशन्स को देख प्रोफेसर उन्हें कमरे में अकले छोड़ बाहर आ गए थे. इस तरह दोनों के बीच प्यार का इजहार हुआ. इसके बाद तेजी लाहौर चली गईं और हरिवंश इलाहबाद की ओर निकल पड़े. लेकिन इन दोनों के प्रेम का किस्सा मशहूर हो गया. इसके बाद जब भी कोई इनमें से किसी से मिलता तो पूछता शादी कब कर रहे हो.

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