
खुला राज... ट्रंप बेनकाब! बाइडेन के समय अमेरिका ही चाहता था भारत रूस से खरीदे तेल, ये था मकसद
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Donald Trump भले ही रूसी तेल की खरीद करने पर भारत को आंख दिखा रहे हैं और तगड़ा जुर्माना लगाने की धमकियां दे रहे हैं, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के समय खुद अमेरिका ही भारत से Russian Oil खरीदने के लिए गुहार लगाता नजर आ रहा था.
भारत का रूस से सस्ता तेल खरीदना अमेरिका को रास नहीं आ रहा है और इसे लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) लगातार भारत को नई धमकियां दे रहे हैं. इससे पहले उन्होंने भारत पर 25 फीसदी का हाई टैरिफ लगाते हुए बयान दिया था कि रूस के साथ तेल और हथियार का व्यापार जारी रखने पर भारी जुर्माना भी झेलना होगा. लेकिन एक ओर जहां ट्रंप Russian Oil की खरीद पर भारत को आंख दिखा रहे हैं, वहीं कभी खुद अमेरिका भारत से रूस का तेल खरीदने के लिए गिड़गिड़ाता नजर आ रहा था. भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से भी ट्रंप की धमकियों को लेकर पलटवार करते हुए साफ किया गया है कि जो हमें अब रूसी तेल न खरीदने की सलाह दे रहे हैं, वो खुद रूस के साथ व्यापार करते हैं. इसे लेकर अब एनर्जी सेक्टर के बड़े ग्रुप रैपिडान के चेयरमैन बॉब मैकनेली ने भी बड़ा बयान दिया है.
एनर्जी ग्रुप के चेयरमैन का बड़ा बयान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर भारत समेत उन देशों पर दबाव बढ़ाते हुए नजर आ रहे हैं, जो रूस से तेल खरीदना जारी रखे हुए हैं. इन धमकियों के बीच रैपिडान एनर्जी ग्रुप के बॉब मैकनेली ने एक इंटरव्यू के दौरान बड़ा बयान देते हुए कहा है कि भारत पर अमेरिका और सख्त रुख अपना सकता है, 25% टैरिफ केवल इसकी शुरुआत है, असली दबाव तो अभी आना बाकी है. हालांकि, उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुद भारत से Russian Oil खरीदने की गुहार लगाई थी. इसका मदसद ये था कि तेल की कीमतें बढ़ने पर रोक लगाई जा सके. वहीं अब ट्रंप प्रशासन भारत समेत उन सभी देशों पर रूसी तेल खरीदने पर सेकंडरी सैंक्शन लगाने की तैयारी में है.
मैकनेली के मुताबिक, ऐसा लगता है कि वो कुछ सेकंडरी टैरिफ लगा सकते हैं और ट्रंप को इस तरह के आर्थिक हथकंडे काफी पसंद हैं. उन्होंने संभावना जताते हुए कहा कि ये सेकंडरी टैरिफ 25%, 50%, 75% और यहां तक कि 100% भी हो सकता है. रैपिडान के चेयरमैन ने आगे कहा कि Trump की हालिय धमकियों से साफ है कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच कोई बड़ा शांति समझौता नहीं होता, तो अमेरिका उन देशों से 100% टैरिफ वसूल सकता है जो रूस से तेल खरीद रहे हैं. इसका सबसे बड़ा असर भारत जैसे देशों पर पड़ सकता है, जो रूस से सस्ते दरों पर कच्चा तेल खरीद रहे हैं और अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी कर रहे हैं.
गौरतलब है कि Rapidan Energy Group के चेयरमैन बॉब मैकनेली के 34 साल के करियर में उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के व्हाइट हाउस ऊर्जा सलाहकार, ऑयल मार्केट एनालिस्ट और ट्यूडर इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन में हेज फंड स्ट्रेटजिस्ट के रूप में भी सेवाएं दी हैं.
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