
कॉर्पोरेट में आज भी पुरुषों का वर्चस्व, बड़े बदलाव की जरूरत: अमीरा शाह
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मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की सीईओ अमीरा शाह ने कहा कि लीडरशिप में तेजी से बदलाव हुआ है. लेकिन अभी भी ऐसा लगता है कि भारत का कॉर्पोरेट मॉडल पुरुषों के लिए ही डिजाइन किया गया है.
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की कार्यकारी अध्यक्ष अमीरा शाह ने कहा कि लीडरशिप में विविधता लाने में तेजी के बावजूद, कॉर्पोरेट जगत का ज्यादातर हिस्सा अभी भी पुरुषों के करियर पर बेस्ड मॉडल पर काम कर रहा है, जिससे महिलाओं को पर्याप्त संस्थागत समर्थन के बिना चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
वह बिजनेस टुडे के मोस्ट पावरफुल विमेन 2025 शिखर सम्मेलन में 'एम्बिशन बनाम बॉयोलॉजी' शीर्षक वाले सत्र के दौरान बोल रही थीं. शाह ने कहा कि महिलाओं के कारोबारी सफर में अभी भी काम से अनुपस्थिति के स्पष्ट और अनुमानित अंतराल शामिल होते हैं, जिनके लिए ऑर्गनाइजेशन शायद ही कभी योजना बनाते हैं. उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट इंडिया अभी भी उसी वर्ककल्चर को मानकर चलती है. यह मानती है कि लोग बिना किसी रुकावट या परेशानी के लागातार काम करते रहेंगे.
शाह ने कहा कि महिलाओं के करियर में आज भी ऐसेा दौर आते हैं, जब उन्हें कुछ समय के लिए काम से दूर रहना पड़ता है जैसे मां और परिवारिक जिम्मेदारियां. लेकिन ज्यादातर कंपनियां इन बातों के लिए पहले से कोई योजना नहीं बनाती हैं. उनका कहना है कि कॉर्पोरेट इंडिया अभी भी यह मानकर चलती है कि लोग बिना किसी रुकावट के लगातार काम करते रहे. जबकि असलियत ऐसी नहीं है.
अपने उद्यमी और लीडर के रूप में लगभग बीस साल के अनुभव को याद करते हुए शाह ने कहा कि करियर की महत्वाकांक्षा और शरीर की जैविक सीमाओं के बीच संतुलन बनाना किसी एक को चुनने का सवाल नहीं है, बल्कि समझदारी से फैसले लेने का सवाल है.
उन्होंने कहा कि मैंने अपने जीवन के हर स्टेप में सोच-समझकर फैसले लिए हैं. अगर मैं आज यहां काम कर रही हूं, तो इसका मतलब है कि आज रात मैं अपने बेटे के साथ खाना नहीं खा पाऊंगी. हम सभी को जीवन में कुछ न कुछ त्याग करना पड़ता है, लेकिन जब फैसले अपने विवेक से लिए जाते हैं, तो हमें अपने जीवन पर ज्यादा कंट्रोल महसूस होता है.
शाह ने कहा कि आधुनिक रिप्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी महिलाओं के लिए बहुत बड़ा बदलाव लेकर आई है. उनके मुताबिक, गर्भनिरोधक गोली महिलाओं को अपने जीवन पर नियंत्रण देने की पहली बड़ी शुरुआत थी. इसके बाद एग फ्रीजिंग और आईवीएफ जैसी तकनीकें आईं, जिन्होंने महिलाओं को यह आजादी दी कि वे अपनी सुविधा से मां बनने का फैसला कर सकें.













