
कभी ग्रोथ इंजन था... अब हांफ रहा है! इस संकट ने चीन को कर दिया बेचैन
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From Boom to Bust:: अब चीन संकट में है, रियल एस्टेट ने बेचैन कर गिया है, तरक्की की रफ्तार थम-सी गई है. क्योंकि जो रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) 20 वर्षों तक देश की आर्थिक मशीनरी का मुख्य इंजन रहा, वो आज हांफ रहा है.
चीन की आर्थिक सफलता दुनिया के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है. चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. लेकिन यह मुकाम उसे अचानक नहीं मिला. असल में चीन ने सबसे तेज तरक्की 1978 से 2010 के बीच की है. इन 32 सालों को चीन का गोल्डन डेवलपमेंट पीरियड कहा जाता है. इसके बाद भी तरक्की की रफ्तार थमी नहीं है.
एक तरह से चीन ने आर्थिक सुधारों को लेकर 1978 में पहला कदम उठाया था. खेती, उद्योग और व्यापार में बाजार आधारित सुधार लागू किए. जिससे किसानों को अपनी पैदावार बेचने की आजादी मिल गई, छोटे निजी व्यवसाय खुलने लगे और विदेशी निवेश को धीरे-धीरे देश में आने की अनुमति दी गई. जिससे चीन की अर्थव्यवस्था में नई जान आ गई, और 1980 के दशक में GDP ग्रोथ लगातार 9 से 10 फीसदी के आसपास पहुंच गई.
उसके बाद 1990 के दशक में चीन ने एक और बड़ा कदम उठाया. उसने सोशलिस्ट मार्केट इकोनॉमी मॉडल को अपनाया और खासकर तटीय इलाकों को आर्थिक क्षेत्रों में बदल डाला. शंघाई, ग्वांगझू और शेन्ज़ेन जैसे शहर वैश्विक औद्योगिक केंद्र बन गए. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में चीन की पकड़ मजबूत होने लगी और विदेशी कंपनियों का निवेश रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. यही वो दौर था, जब चीन दुनिया की फैक्ट्री बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा था.
चीन की तरक्की की कहानी
चीन की तरक्की का सबसे विस्फोटक दौर 2001 के बाद शुरू हुआ. चीन विश्व व्यापार संगठन (WTO) का सदस्य बना, वैश्विक दरवाजे खुल गए. इसके बाद चीन में मैन्युफैक्चरिंग, निर्यात और विदेशी निवेश में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई. सरकार ने हाईवे, एयरपोर्ट, बंदरगाह और हाईस्पीड रेल जैसे भारी-भरकम इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश किए. 2001 से 2010 के बीच चीन की GDP ग्रोथ करीब 10 से 14 फीसदी तक रही, जो किसी भी बड़े देश के लिए असाधारण है.
2010 तक चीन जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. करोड़ों लोग गरीबी से बाहर आए, बड़े शहर आधुनिक हो गए और चीन एक वैश्विक औद्योगिक महाशक्ति के रूप में उभरा. हालांकि 2010 के बाद चीन की ग्रोथ 6-7 फीसदी पर स्थिर हुई. कुल मिलाकर 1978 से 2010 तक चीन के इतिहास का सबसे स्वर्णिम काल था, जिसने देश की तस्वीर बदलकर रख दी.













