
कपड़े-जूते और ज्वेलरी... ट्रंप ने 20-25% टैरिफ लगाया तो इन इंडस्ट्रीज को होगा तगड़ा नुकसान
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अमेरिका भारत से कपड़ा और फुटवियर का सबसे बड़ा आयातक देश है. 20 से 25 फीसदी तक टैरिफ लगने से अमेरिकी बाजार में ये उत्पाद ज्यादा महंगे हो सकते हैं, जिससे भारत का शिपमेंट से लेकर कारोबार तक प्रभातिव हो सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत पर 20 से 25 फीसदी का टैरिफ लगाया जा सकता है. हालांकि ये कोई अंतिम फैसला नहीं है. ये संकेत उन्होंने तब दिया है जब भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील (India Us Trade Deal) को लेकर 6वें दौर की चर्चा होने जा रही है. ऐसे में अगर ये टैरिफ लागू होता है तो भारत के कई सेक्टर्स प्रभावित हो सकते हैं. आइए समझते हैं इस टैरिफ से किन चीजों पर कितना टैक्स लागू हो सकता है.
टेक्सटाइल और गारमेंट्स पर असर टेक्सटाइल भारत के प्रमुख एक्सपोर्टर में से एक है. अमेरिका भारत से कपड़ा और फुटवियर का सबसे बड़ा आयातक देश है. 20 से 25 फीसदी तक टैरिफ लगने से अमेरिकी बाजार में ये उत्पाद ज्यादा महंगे हो सकते हैं, जिससे भारत का शिपमेंट से लेकर कारोबार तक प्रभातिव हो सकता है.
ज्वेलरी और डायमंड पर भी तगड़ा असर भारत दुनिया के सबसे बड़े डायमंड एक्सपोर्ट करने में से एक है और अमेरिका भारत से बड़ी मात्रा में डायमंड का आयात करता है. टैरिफ लागू होने से ज्वेलरी और डायमंड की कीमतें बढ़ सकती है, जिससे भारत से इसकी मांग प्रभावित हो सकती है, क्योंकि अमेरिकी खरीदार भारत के अलावा, अन्य विकल्प तलाश कर सकते हैं. इनपर 26 से 27 फीसदी तक टैरिफ लागू हो सकता है.
ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स पर क्या होगा असर? ऑटो सेक्टर की बात करें तो भारत की ओर से अमेरिका को बड़ी मात्रा में ऑटो प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट किए जाते रहे हैं. पहले से ही स्टील और एल्यूमीनियम पर 25 फीसदी टैरिफ है और अब अगर 25 फीसदी और ऑटो सेक्टर पर Tariff लागू होतो है तो भारतीय मांग प्रभावित हो सकती है. इन प्रोडक्ट्स पर 27 फीसदी तक टैरिफ हो सकता है.
मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स का इतना बड़ा मार्केट भारत अमेरिका को हर साल 14 अरब डॉलर से ज्यादा मोबाइल, टेलीकॉम प्रोडक्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट करता है. टैरिफ के कारण इन उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे अरबों डॉलर का एक्सपोर्ट घट सकता है. साथ भारत की तुलना में अमेरिका का व्यापार दूसरे देशों से ज्यादा बढ़ सकता है. इसके अलावा, केमिकल सेक्टर भी इससे प्रभावित हो सकता है.













