
War 2 Review: एक्शन-मारधाड़ के बीच इमोशनल कहानी ने धीमी की 'वॉर 2' की रफ्तार, ऋतिक रोशन भी नहीं बचा पाए फिल्म
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ऋतिक रोशन की फिल्म 'वॉर' के सीक्वल के ऐलान के बाद से ही 'वॉर 2' का इंतजार फैंस कर रहे थे. पिक्चर में जूनियर एनटीआर की एंट्री हुई तो दर्शकों की इसमें दिलचस्पी और बढ़ गई थी. अब 'वॉर 2' सिनेमाघरों में आ गई है. अगर आप भी इसे देखने का मन बना रहे हैं तो पढ़िए हमारा रिव्यू.
ऋतिक रोशन की फिल्म 'वॉर' के सीक्वल के ऐलान के बाद से ही 'वॉर 2' का इंतजार फैंस कर रहे थे. सभी के मन में सवाल था कि आखिर ये फिल्म कैसी होगी. पिक्चर में जूनियर एनटीआर की एंट्री हुई तो दर्शकों की इसमें दिलचस्पी और बढ़ गई थी. अब 'वॉर 2' सिनेमाघरों में आ गई है. कैसी है ये फिल्म, आइए आपको बताते हैं.
लंबी है वॉर 2 की कहानी
'वॉर 2' की शुरुआत वहीं से होती है, जहां पहली फिल्म 'वॉर' का अंत हुआ था. बागी होकर रॉ को छोड़ चुका कबीर (ऋतिक रोशन) अब एक मर्सनेरी बन चुका है. वो फ्रीलांसर है, लोगों से पैसे लेकर उनके लिए कत्ल करता है. उसे किसी की नौकरी करने में बिल्कुल कोई दिलचस्पी नहीं है. कबीर का उसूल है- तुम मुझे नाम दो, मैं तुम्हें लाश दूंगा. ऐसे ही एक मिशन पर कबीर फिर से निकला है. फिल्म की शुरुआत में आप कबीर को एक जापानी माफिया के पंगा लेते देखेंगे. जापानी जश्न में कबीर अकेला आया है और उसके दोनों हाथों में बंदूकें हैं. माफिया का कहना है कि उसके घर में बंदूकें नहीं उठाई जातीं, लेकिन कटाना (तलवार) के लिए किसी ने मना नहीं किया. ऐसे में कबीर भी कटाना लेकर माफिया के गुंडों की बैंड बजा देता है. ये पूरा सीक्वेंस किसी एनिमे लवर के सपने से निकला लगता है, जहां ऋतिक रोशन जापानी भाषा में बात करते हुए कटाना चला रहे हैं.
15 महीनों में 20 मिशन पर लोगों को मारने के बाद कबीर को आखिर वो मिल जाता है, जिसका इंतजार वो पिछले दो सालों से कर रहा था. कबीर को कलि कार्टेल की तलाश थी, जो खुद चलकर उसके पास आया है और चाहता है कि वो उनके लिए काम करे. कलि असल में अलग-अलग देशों, जैसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका जैसे देशों के पावरफुल लोगों का मिलकर बनाया हुआ ग्रुप है, जो अवैध काम करता है. उनका नया निशाना भारत है. ये सभी कबीर की मदद से भारत पर कब्जा करना चाहते हैं. इनका एक आदमी रॉ से भी मिला हुआ है, वो कौन है इसका पता भी वक्त के साथ चल जाएगा.
कलि गैंग से मिलने के बाद कबीर को कल्कि बनने का ज्ञान मिलता है. उसका मकसद इस गैंग को खत्म करना है, लेकिन ये काम इतना आसान नहीं है. इस बीच कबीर का सामना अपने अतीत से होता है. ये वो वक्त है, जिसे कबीर भुला चुका है. कबीर का कड़वा अतीत और कोई नहीं बल्कि मेजर विक्रम जलपति (जूनियर एनटीआर) है, जिसे अब कबीर को पकड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. विक्रम, कबीर जितना ही तेज-तर्रार और ताकतवर है. एक वक्त पर दोनों दोस्त हुआ करते थे, लेकिन आज दोनों एक दूसरे की जान के दुश्मन बन चुके हैं. ऐसे में कबीर और विक्रम के बीच धुआंधार मुकाबला होता है, जिसमें कार चेज सीक्वेंस से लेकर ट्रेन, प्लेन और यहां तक की जेट स्की में भी दोनों एक दूसरे से लड़ रहे हैं. दोनों के बीच की लड़ाई देखते-देखते आप थक जाएंगे, लेकिन ये लड़ाई खत्म ही नहीं होती. फिल्म में कबीर के लव इंटरेस्ट के रूप में काव्या लूथरा (कियारा आडवाणी), जो कर्नल सुनील लूथरा (आशुतोष राणा) की बेटी है. काव्या और कबीर कभी एक दूसरे के प्यार में पागल थे, लेकिन एक नहीं हो सके. कुल-मिलाकर फिल्म की कहानी बहुत लंबी है.
दमदार होती है फिल्म की शुरुआत

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