
Haq Movie Teaser: 'हक' की लड़ाई पर निकलीं यामी गौतम, कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले पर बनी ये फिल्म
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फिल्म 'हक' 7 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. आज इसका टीजर रिलीज हुआ है. यह फिल्म पर्सनल लॉ और सेक्युलर लॉ के बीच की बहस को सामने लाती है. टीजर की शुरुआत में इमरान हाशमी और यामी गौतम के किरदारों को लड़ते देखा जा सकता है. जाहिर है कि ये फिल्म दमदार होगी.
इमरान हाशमी और यामी गौतम की नई फिल्म 'HAQ' का ऐलान हो चुका है. जंगली पिक्चर्स ने इनसोम्निया फिल्म्स और बावेजा स्टूडियोज के साथ मिलकर पिक्चर का टीजर रिलीज किया है. यह एक दमदार ड्रामा है, जो मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो बेगम मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से प्रेरित है. फिल्म में यामी गौतम को शाजिया बानो उर्फ शाह बानो के किरदार में देखा जाएगा. वहीं अहमद खान के रोल में इमरान हाशमी हैं. इस फिल्म का निर्देशन सुपर्ण एस. वर्मा ने किया है.
रिलीज हुआ फिल्म हक का ट्रेलर
फिल्म 'हक' 7 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. आज इसका टीजर रिलीज हुआ है. यह फिल्म पर्सनल लॉ और सेक्युलर लॉ के बीच की बहस को सामने लाती है. टीजर की शुरुआत में आप इमरान हाशमी के किरदार को यामी के किरदार शाह बानो पर सवाल उठाते देख सकते हैं. वो कहते हैं- 'अगर तुम एक नेक और वफादार बीवी होतीं तो ऐसी बात कभी नहीं करतीं.' आगे आप शाह बानो को अपने हक के लिए समाज और शौहर से भिड़ते देखेंगे. वो कोर्ट में कहती हैं कि वो भारत की मुसलमान महिला हैं, ऐसे में उन्हें भी दूसरी महिलाओं की तरह ही न्याय दिया जाएगा. टीजर से ही पता चल रहा है कि यामी गौतम अपनी परफॉरमेंस से धमाल मचाने वाली हैं.
'हक' में यामी गौतम एक ऐसी प्रेरणादायक मुस्लिम महिला की भूमिका में हैं, जो अन्याय के सामने झुकने से इनकार करती है. गलत तरीके से छोड़ी और बेसहारा की गई, वह अपने और अपने बच्चों के लिए धारा 125 के तहत अपने 'हक' की मांग करते हुए कोर्ट में एक बड़ी लड़ाई लड़ती है. यामी गौतम और इमरान हाशमी इस फिल्म में पहली बार साथ आए हैं. इसमें इमरान हाशमी एक बेहद समझदार और जाने-माने वकील की भूमिका निभा रहे हैं, जबकि यामी एक ऐसी लड़ाई का नेतृत्व कर रही हैं, जो समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि वे किस तरफ हैं.
फिल्म 'हक' जिग्ना वोरा की लिखी 'बानो: भारत की बेटी' नामक किताब पर आधारित एक काल्पनिक और नाटकीय कहानी है. शाह बानो बेगम, 80 के दशक में पुरुष प्रधान समाज में अपने स्वाभिमान और हक के लिए लड़ी थीं. चार दशक से भी पहले शुरू हुई यह बहस आज भी हमारे समाज में प्रासंगिक है कि क्या न्याय सभी के लिए समान नहीं होना चाहिए? क्या अब एक राष्ट्र, एक कानून का समय आ गया है? हम व्यक्तिगत आस्था और धर्मनिरपेक्ष कानून के बीच की रेखा कहां खींचते हैं? क्या समान नागरिक संहिता (UCC) होनी चाहिए?
इस फिल्म की शुरुआत एक प्रेम कहानी के रूप में होती है. फिर ये पति-पत्नी के बीच एक निजी विवाद से बढ़कर एक भड़काऊ विषय पर बहस बन जाती है, जो आज भी एक समाधान की मांग करता है. यह एक कोर्टरूम बैटल है, जो आस्था, पहचान, उदारवाद, व्यक्तिगत विश्वास और अंततः नीति और कानून—यानी समान नागरिक संहिता (UCC), अनुच्छेद 44 के तहत—के बड़े सवालों को उजागर करता है. एक मां का सच्चा और अडिग साहस ही 'हक' की असली जान है. यह एक बेहद रोमांचक और अप्रत्याशित फिल्म है, जो कई चौंकाने वाले मोड़ों, भावनाओं और ड्रामा से भरी हुई है. 7 नवंबर से आप इस फिल्म को सिनेमाघरों में देख पाएंगे.













