
सिल्वर ETF खरीदने वाले हो जाएं सतर्क, आ गई बड़ी चेतावनी!
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सिल्वर ईटीएफ को लेकर कोटक महिंद्रा म्यूचुअल फंड, SBI म्यूचुअल फंड और UTI म्यूचुअल फंड ने ETF फंड्स ऑफ फंड्स (FOF) में एकमुश्त निवेश को अस्थायी समय के लिए रोक दिया है.
पिछले कुछ महीने से चांदी की कीमत में धुआंधार तेजी देखी जा रही है. MCX से लेकर बुलियन मार्केट में सिल्वर के रेट तेजी से भाग रहे हैं, जिस कारण स्टॉक मार्केट में सिल्वर के ऑप्शन में सिल्वर फंड और Silver ETF भी रॉकेट की रफ्तार से चढ़ रहे हैं, जो निवेशकों के लिए एक ऑकर्षित कर रहा है. खासकर रिटेल निवेशक ईटीएफ में आई तेजी के कारण ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं.
हालांकि अब एक बड़ी चेतावनी सामने आई है. प्रमुख म्यूचुअल फंड हाउसेज- कोटक महिंद्रा म्यूचुअल फंड, SBI म्यूचुअल फंड और UTI म्यूचुअल फंड ने अपने सिल्वर ETF फंड्स ऑफ फंड्स (FOF) में एकमुश्त निवेश को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है. यह कदम घरेलू चांदी की कीमतों में आई जबरदस्त के बीच उठाया गया है, जो इंटरनेशन इम्पोर्ट दरों की तुलना में 10 से 12 फीसदी ज्यादा पर कारोबार कर रही हैं, जबकि सामान्य प्रीमियम केवल 0.5% होता है.
क्यों आई चांदी में उछाल? फंड हाउसों ने इस अंतर के पीछे भारत में भौतिक चांदी की अस्थायी कमी और निवेशकों के ज्यादा डिमांड को बताया है. एक्सपर्ट ने कहा कि इस कमी और निवेशकों की मांग में तीव्र वृद्धि के कारण, चांदी की घरेलू कीमतें अंतरराष्ट्रीय आयात समता मूल्यों की तुलना में असामान्य रूप से उच्च प्रीमियम पर कारोबार कर रही हैं, जो सिल्वर में निवेश को लेकर बड़ा डर पैदा कर रहा है.
फंड हाउसेज ने कहा कि एकमुश्त को निलंबित करने का के फैसले का उद्देश्य खुदरा निवेशकों को बढ़ी हुई कीमतों पर चांदी खरीदने से बचाना है, जो बाजार के स्थिर होने पर जल्दी ही गिर सकती हैं. सिल्वर ईटीएफ निवेशकों को चांदी को फिजिकली खरीदे बिना ही उसकी कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का अनुभव करने का अवसर प्रदान करते हैं. हालांकि, बढ़ी हुई हाजिर कीमतों के समय, फंड मैनेजर ऊंची दरों पर चांदी खरीदने के लिए बाध्य होते हैं, जिससे कीमतें सामान्य होने पर तत्काल मार्क-टू-मार्केट नुकसान हो सकता है.
फंड हाउसेज ने कहा कि सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड्स पर बैन लगा दिया गया है, सिल्वर ETF खुद स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार करते रहेंगे, क्योंकि उन यूनिट्स का निवेशकों के बीच सीधे ट्रांजेक्शन होता है. फंड हाउसों ने स्पष्ट किया है कि वे सेकेंड्री मार्केट की कीमतों को नियंत्रित नहीं कर सकते, जो निवेशकों की धारणा और व्यापारिक गतिशीलता पर निर्भर करती हैं.
परिचालन के नजरिए से भौतिक कमी के कारण फंड प्रबंधकों के लिए उचित मूल्य पर नई ईटीएफ यूनिट्स बनाना कठिन हो गया है, जिससे उन्हें अलग-अलग वैल्यूवेशन पर एंट्री करने वाले निवेशकों को नुकसान से बचाने के लिए नए निवेश को स्थगित करना पड़ा है.













