
रूस-यूक्रेन संकट: रूस से गैस नहीं आई तो ठंड से जम जाएगा यूरोप, हालात इतने ख़राब कैसे हुए?
BBC
यूरोप का ऊर्जा संकट अब एक आर्थिक समस्या से राजनीतिक चुनौती में बदल गया है. पश्चिमी देश खुलेआम रूस पर 'गैस वॉर' छेड़ने का इलज़ाम लगा रहे हैं. जबकि क्रेमलिन इन आरोपों से इनकार करता है.
यूरोप का ऊर्जा संकट अब एक आर्थिक समस्या से राजनीतिक चुनौती में बदल गया है. पश्चिमी देश खुलेआम रूस पर 'गैस वॉर' छेड़ने का इलज़ाम लगा रहे हैं. जबकि क्रेमलिन इन आरोपों से इनकार करता है.
रूस ने पश्चिमी देशों के सामने एक तरह से अंतिम शर्त रख दी है कि यूरोप को अलग-अलग प्रभाव क्षेत्र वाले खांचों में बांटा जाए और गैस मार्केट में खेल के नियम बदले जाएं.
यूरोपीय देश अपनी आबादी और उद्योग, दोनों को ही बचाने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी कर रहे हैं और अमेरिका इस बात से खुश लग रहा है कि वो यूरोप को रूसी गैस के बदले ऊंची क़ीमतों पर इसकी सप्लाई का मौका मिलेगा.
वैश्विक ऊर्जा संकट की शुरुआत बीते पतझड़ के साथ ही शुरू हो गई थी. सर्दियां आते-आते हालात और बिगड़ गए. पहले गैस और अब तेल की क़ीमतों को भी आग लग गई है. यूरोप में ऊर्जा संसाधनों की इतनी कमी है कि आम लोगों से लेकर उद्योगों तक का बिजली और गैस बिल बेहिसाब बढ़ गया है.
ऐसे में ये सवाल पूछा जा सकता है कि यूरोप में अचानक क्यों गैस संकट गहरा गया और वो सर्दी में ठिठुरकर जम जाने की इंतेहा पर पहुंच गया? इसके कई कारण हैं.
