
'मैं धर्मेंद्र हूं, उसे मार दूंगा', फिल्म में अपनी मौत के सीन से नाखुश थे एक्टर, डायरेक्टर को हड़काया
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धर्मेंद्र की आधुनिक काल की एक बेमिसाल फिल्म आज भी सबसे अलग खड़ी है, जिसका नाम है 'जॉनी गद्दार'. यह महज एक लंबा कैमियो था, लेकिन फिर भी धर्मेंद्र ने जो परफॉरमेंस दी, वह आज भी बेजोड़ लगती है. इस फिल्म से जुड़ा एक किस्सा डायरेक्टर श्रीराम राघवन ने सुनाया था.
24 नवंबर को धर्मेंद्र के निधन से देशभर के प्रशंसक और शुभचिंतकों के दिल टूट गए हैं. सभी उनके सबसे यादगार ऑनस्क्रीन किरदारों को बार-बार याद कर रहे हैं. 'सत्यकाम', 'शोले', 'चुपके चुपके' और 'यादों की बारात' जैसी फिल्में तो सबसे पहले जहन में आती ही हैं, लेकिन उनकी आधुनिक काल की एक बेमिसाल फिल्म आज भी सबसे अलग खड़ी है, जिसका नाम है 'जॉनी गद्दार'. यह महज एक लंबा कैमियो था, लेकिन फिर भी धर्मेंद्र ने जो परफॉरमेंस दी, वह आज भी बेजोड़ लगती है.
फिल्म में कुछ ऐसा था धर्मेंद्र की सीन
हालांकि एक पुराने इंटरव्यू में डायरेक्टर श्रीराम राघवन ने बताया था कि फिल्म के एक बेहद अहम सीन को लेकर धर्मेंद्र शुरू में कतई राजी नहीं थे. बात इंटरवल पॉइंट की है, जहां नील नितिन मुकेश, धर्मेंद्र के किरदार को मार डालते हैं. पहले इस सीन को चाकू से वार करके मारने के रूप में लिखा गया था, लेकिन लेजेंड धर्मेंद्र को लगा कि उनके किरदार के साथ यह बिल्कुल फिट नहीं बैठेगा.
एक्टर ने डायरेक्टर से कहा था ये
स्क्रीनराइटर्स एसोसिएशन को दिए इंटरव्यू में श्रीराम राघवन ने कहा था, 'शूट के दिन मैं चाकू लेकर बैठा था. धरम जी ने देखा और पूछा, 'ये क्या है?' मैंने कहा, 'यही चाकू है जिससे नील आपको गोदने वाला है.' तो बोले, 'जरा मुझे देखने दो.'' श्रीराम ने चाकू उन्हें पकड़ा दिया. उसे अच्छे से देखकर धर्मेंद्र ने कहा, 'ठीक है, इससे मैं मर जाऊंगा, लेकिन मुझे मरने में 15-20 मिनट तो लगेंगे ही और उस दौरान मैं उसे जरूर मार डालूंगा. क्योंकि मैं धर्मेंद्र हूं, मैं उससे पहले उसे खत्म कर दूंगा.'
धर्मेंद्र की बात सुनकर श्रीराम दंग रह गए थे. वे तुरंत अपने डीओपी के पास गए और वही बात दोहराई. डीओपी ने भी कहा, 'हां, बिल्कुल ठीक कह रहे हैं, स्क्रीन पर बहुत बचकाना लगेगा.' अब क्या करें? श्रीराम ने सेट पर आधे घंटे का ब्रेक लिया, कहीं से बंदूक का जुगाड़ किया और आखिरकार सीन बंदूक के साथ ही शूट हुआ.













