
'बाजीराव मस्तानी' से पहले, 'तानाजी' के बाद की कहानी है 'छावा'... ऐसी है फिल्मों में मराठा साम्राज्य की क्रोनोलॉजी
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पिछले कुछ सालों में मराठा योद्धाओं की ऐतिहासिक कहानियों को बॉलीवुड बड़े पर्दे पर लाता रहा है. इस कोशिश में ही बॉलीवुड से 'तानाजी', 'बाजीराव मस्तानी', 'पानीपत' और 'छावा' जैसी फिल्में आई हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतिहास के पन्नों के हिसाब से कौन सी कहानी पहले आती है और कौन सी बाद में?
विक्की कौशल की फिल्म 'छावा' थिएटर्स में रिलीज हो चुकी है. रिव्यूज में फिल्म को ज्यादातर पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिलता नजर आ रहा है और विक्की के काम की खूब तारीफ हो रही है.'छावा' की कहानी छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है और फिल्म में विक्की लीड रोल निभा रहे हैं.
जहां मराठी सिनेमा में मराठा साम्राज्य से जुड़ी कई कहानियां पर्दे पर आ चुकी हैं, वहीं छत्रपति संभाजी महाराज की कहानी को मॉडर्न बॉलीवुड ने पर्दे पर कम ही एक्सप्लोर किया है. दिलचस्प बात ये है कि 'छावा' के ठीक सौ साल पहले संभाजी की कहानी पहली बार बड़े पर्दे पर आई थी. आज की हिंदी फिल्म इंडस्ट्री भी पिछले कुछ सालों में मराठा योद्धाओं की ऐतिहासिक कहानियों को बड़े पर्दे पर लाती रही है.
इस कोशिश में ही बॉलीवुड से 'तानाजी', 'बाजीराव मस्तानी' और 'पानीपत' जैसी फिल्में आई हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतिहास के पन्नों के हिसाब से कौन सी कहानी पहले आती है और कौन सी बाद में? चलिए, इन फिल्मों की कहानी के हिसाब से बताते हैं...
'शेर शिवाजी' मराठा इतिहास पर जो फिल्में बनती हैं, उन्हें इतिहास की क्रोनोलॉजी में छत्रपति शिवाजी के दौर की कहानियों पर बनी फिल्मों से शुरू किया जा सकता है. साल 1674 में राज्याभिषेक के साथ ही शिवाजी 'छत्रपति' बने और यहां से मराठा साम्राज्य का वो अध्याय शुरु हुआ जो हम इतिहास में पढ़ते हैं. 1680 में अपने निधन से पहले तक वो लगातार मराठा साम्राज्य की पताका बुलंद करने के लिए युद्ध लड़ते रहे. अपने जीवन के इन 6 सालों में उन्होंने जितने युद्ध किए, वही उन अधिकतर फिल्मों की कहानी का आधार बने जो बड़े पर्दे तक पहुंचीं.
भारतीय सिनेमा के आइकॉनिक फिल्ममेकर्स में से एक बाबूराव पेंटर ने 1923 में ही छत्रपति शिवाजी पर एक साइलेंट फिल्म बनाई थी, जिसका नाम था 'सिंहगढ़'. शिवाजी की ही शौर्य गाथाओं पर भारतीय सिनेमा के एक और आइकॉन वी. शांताराम ने भी पहले एक साइलेंट फिल्म 'उदयकाल' (1930) और फिर सिनेमा में साउंड आने के दौर में फिल्म 'सिंहगढ़' बनाईं. देश आजाद होने के बाद 1952-53 में भालजी पेंढारकर ने फिल्म 'छत्रपति शिवाजी' बनाई जिसमें लीड रोल चंद्रकांत मांडरे ने निभाया. इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर ने भी काम किया था और वो राजा जयसिंह के किरदार में नजर आए थे.
परीक्षित साहनी ने 1987 में आई हिंदी फिल्म 'शेर शिवाजी' में मुख्य भूमिका निभाई थी. उनके साथ फिल्म में स्मिता पाटिल, श्रीराम लागू और अमरीश पुरी जैसे कलाकार भी थे. इसे छत्रपति शिवाजी महाराज पर बनीं सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक माना जाता है क्योंकि इसकी कहानी में सिर्फ उनके युद्ध कौशल ही नहीं, बल्कि उनके राजनीतिक और कूटनीतिक कौशल को भी दिखाया गया.

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