'ताली' की स्क्रिप्ट के लिए हामी भरने में लगे थे 6 महीने, फिर ऐसे ट्रांसजेंडर बनीं सुष्मिता
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बॉलीवुड में हमेशा ट्रांसजेंडर का किरदार मर्दों ने ही प्ले किया है. यह पहली बार होगा, जब कोई फीमेल ट्रांस के किरदार में होंगी. फिल्म ताली के लिए हामी भरने में सुष्मिता को एक लंबा समय लग गया था. लगभग 6 महीने के बाद सुष्मिता इस किरदार से जुड़ी थीं. फिल्म के मेकर अर्जुन-कार्तिक ने इस बातचीत के दौरान फिल्म से जुड़े कई खुलासे किए हैं.
सुष्मिता सेन की अपकमिंग सीरीज 'ताली' का ट्रेलर आ चुका है. एक बार फिर सुष्मिता लीक से हटकर एक अनोखी कहानी का हिस्सा बनने जा रही हैं. सुष्मिता इस फिल्म में ट्रांसजेंडर गौरी सावंत के किरदार में हैं. ट्रेलर रिलीज के बाद से ही ताली को सुष्मिता के करियर का सबसे दमदार किरदार बताया जा रहा है. बता दें, इस फिल्म के लिए हामी भरने में सुष्मिता को एक लंबा समय लग गया था. लगभग 6 महीने के बाद सुष्मिता इस किरदार से जुड़ी थीं. फिल्म के मेकर अर्जुन-कार्तिक ने इस बातचीत के दौरान फिल्म से जुड़े कई खुलासे किए हैं.
6 महीने के बाद सुष्मिता हुई थी राजी जब हमने सुष्मिता से इस स्क्रिप्ट पर बात की, तो उन्हें पता था कि यह फिल्म ट्रांसजेंडर पर बेस्ड है. वो तब से ही इस कहानी को लेकर उत्सुक थीं. वो 6 महीने तक स्क्रिप्ट पढ़ती रही थी. वो कह रही थी कि मुझे स्क्रिप्ट तो बहुत पसंद आई है लेकिन मैं उसे गहराई से समझना चाहती हूं. वो लगातार 6 महीने तक स्क्रिप्ट पढ़ती रहीं. वो स्क्रिप्ट को दिल से इतना रट चुकी थीं कि जब सेट पर कहानी में कोई बदलाव होता देखा, तो खुद कहतीं कि अरे ये बदल दिया है क्या? इन महीनों में सुष्मिता हमसे लगातार टच में थीं. वो मेकर्स के विजन को भी समझना चाहती थीं. वो कई सवालों से घिरी थीं. उनकी डिटेलिंग कमाल की थी, एक बार उन्होंने हमसे कहा कि गणेश जो लड़का है, उसे सेक्स एक्सचेंज कर गौरी बनना है. अगर वो पहली बार ब्रा पहनेगा, तो उसे स्क्रीन पर किस तरह से दिखाया जाएगा? इस दौरान वो पूरी तरह से रिसर्च में डूब गई थीं.
इसलिए सुष्मिता बनीं पहली पसंद बॉलीवुड में हमेशा ट्रांसजेंडर का किरदार मर्दों ने ही प्ले किया है. यह पहली बार होगा, जब कोई फीमेल ट्रांस के किरदार में होंगी. इसके पीछे की खास वजह पर कहते हैं, 'अगर आप देखें, तो श्रीगौरी जी जो हैं, वो बहुत ही फेमिनीन पर्सनैलिटी हैं. बेशक उन्होंने पेटिशन फाइल किया था. इसके साथ ही वो एक मां भी हैं. एक मां वाली फीलिंग कोई मेल एक्टर नहीं निभा सकता था. सुष्मिता खुद एक मां हैं, वो अपने बच्चों के करीब हैं. इसलिए पहले दिन से ही हमारी चॉइस सुष्मिता ही रही हैं. आगे कहते हैं, अगर आप बॉलीवुड की फिल्में देखें, तो यहां किरदारों में बहुत गुस्सा, जलन, समाज के प्रति रोष और कई बार तो मजाकिया तौर पर दिखाया गया है. लेकिन यहां हमारा किरदार बिलकुल भी वैसा नहीं है. वो तो बहुत स्वीट सा है. हम उस खूबसूरत औरत की कहानी बता रहे हैं, जो मां है. जैसे ही यहां हम मर्द को लेते हैं, तो बहुत ही कैरिकेचर सा सिमट कर रह जाएगा.'
मराठी फिल्म बनने वाली थी 'ताली' इस बायोपिक को सीरीज का रूप देने पर अर्जुन कहते हैं, 'जब हमारे पास फिल्म आई थी, तो यह एक मराठी स्क्रिप्ट में लिखी थी. कहानी के राइट्स मराठी फिल्म बनाने के मकसद से लिए गए थे. जब हमने स्क्रिप्ट पढ़ा, तो लगा कि यह एक खूबसूरत वेबसीरीज बन सकती है. अगर किसी व्यक्ति की जर्नी बतानी है, तो वो दो घंटे में सिमट जाए, ये संभव नहीं है. उसके ग्राफ को समझाना भी जरूरी होता है. यहां से थॉट्स आया और हमने क्षीतिज पटवर्धन जो राइटर हैं, उनको सीरीज के लिए राजी किया. जब गौरी को हमने बताया कि इस फिल्म के लिए हम सुष्मिता को सोच रहे हैं, तो उनका रिएक्शन बिलकुल ऐसा था कि उनसे बेहतर कोई और नहीं हो सकता है.'