
'जान चली जाएगी', पिता योगराज से नफरत करते थे युवराज सिंह, मां को तलाक लेने की दी थी सलाह
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एक पुराने इंटरव्यू में युवराज से उनके पिता के भारत के लिए खेलने की आकांक्षा और उस सपने के उन पर सच करने के बारे में पूछा गया था. युवराज सिंह ने बताया था कि कैसे उनके पिता उनके साथ बेहद सख्त थे, जिसकी वजह से उन्हें पिता से नफरत हो गई थी.
क्रिकेटर युवराज सिंह को कई लोग अपनी पीढ़ी के सबसे महान क्रिकेटर्स में से एक मानते हैं. अपने शानदार करियर और उस दौरान स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के बावजूद युवराज हमेशा अपनी निजी जिंदगी के बारे में खुलकर बात करते रहे हैं. उनके पिता योगराज सिंह के साथ उनके तनावपूर्ण रिश्ते हमेशा चर्चा का विषय रहे हैं. अपने खेल के दिनों के एक पुराने इंटरव्यू में युवराज ने बताया था कि अपने पिता के मार्गदर्शन में बड़ा होना उनके लिए कितना मुश्किल था और कैसे उन्होंने अपने माता-पिता को अलग होने के लिए प्रेरित किया था.
पिता से नफरत करते थे युवराज
सीनियर टीवी टॉक शो होस्ट सिमी ग्रेवाल के साथ एक पुराने इंटरव्यू में युवराज से उनके पिता के भारत के लिए खेलने की आकांक्षा और उस सपने के उन पर हस्तांतरित होने के बारे में पूछा गया था. तब उन्होंने कहा था, 'मैंने सुना था कि उन्होंने अपने खेल के लिए बहुत मेहनत की थी, और वे बहुत प्रतिभाशाली थे. वे बहुत आक्रामक थे, और उन्होंने अपने तरीके से चीजें कीं. इसलिए उनके लिए यह मुश्किल था. वे मेरे जरिए खुद को देखना चाहते थे, और वे चाहते थे कि मैं भारत के लिए खेलूं.'
युवराज सिंह ने अपने पिता की कठिन प्रशिक्षण शैली को याद किया था. उन्होंने कहा, 'मेरे पिता के दोस्त और कॉलोनी के लोग उन्हें हिटलर कहा करते थे. मुझे याद है कि हमारे पास एक खूबसूरत बगीचा था, और मेरी मां ने उसमें बहुत सारे पौधे लगाए थे. उन्होंने सब कुछ हटा दिया और क्रिकेट नेट्स लगा दिए. मैं पिछले दिन के अभ्यास से इतना थक जाता था कि अगले दिन उठने से मना कर देता था. वे एक बाल्टी ठंडा पानी भरकर मेरे रजाई में डाल देते थे. उन पलों में मुझे अपने पिता से नफरत हो जाती थी.' उन्होंने बताया कि कई लोगों को लगता था कि उनके पिता की कठोर ट्रेनिंग से उनकी जान चली जाएगी.
मां ने दिए बलिदान
लेकिन युवराज ने स्वीकार किया था कि जो कुछ भी उन्होंने सहा, उसने उन्हें वह खिलाड़ी बनाया जो वे बने. क्रिकेटर ने कहा था, 'मुझे लगता है कि मेरे द्वारा किए गए बलिदानों और जिस तरह से उन्होंने मुझे प्रशिक्षित किया, उसी वजह से मैं इतनी कम उम्र में भारत के लिए खेल सका.' बलिदानों की बात करते हुए, उन्होंने अपनी मां शबनम सिंह के बचपन पर प्रभाव को भी याद किया था. युवराज ने कहा था, 'मुझे लगता है कि केवल एक मां ही वह बलिदान दे सकती है, जो मेरी मां ने मुझे पालने के लिए दिए. मैं ऐसी मां के लिए बहुत आभारी हूं.'













