
जब 18 साल की उम्र में सुष्मिता ने इंटरव्यू में किया 'सेक्स' शब्द का इस्तेमाल, पेरेंट्स हुए नाराज
AajTak
सुष्मिता ने बताया कि कैसे उनके पेरेंट्स ने उन्हें सेक्स शब्द का इस्तेमाल करने से मना किया था. उस दौरान वो 18 साल की थीं. साथ ही सुष्मिता ने बताया कि मां-पिता की रोक का उनपर कोई असर नहीं पड़ा. एक बार शोभा डे के इंटरव्यू में उन्होंने जानबूझकर सेक्स शब्द का इस्तेमाल किया.
बॉलीवुड डिवा सुष्मिता सेन को एक बार उनके पेरेंट्स ने ही नाप तोल कर बोलने की सलाह दी थी. सुष्मिता से कहा था कि आपको बहुत ज्यादा मुखर होकर अपनी राय रखने से मना किया था. एक्ट्रेस अक्सर दिल में जो है उसे संजीदगी से सबके सामने रखना पसंद करती हैं, वो किसी भेदभाव या लिमिट को नहीं मानती हैं. लेकिन जब उन्होंने बतौर मिस यूनिवर्स अपने करियर की शुरुआत की थी, तब उनके लिए ये मुसीबत का सबब बन गई थी.
सुष्मिता ने इस पर बात की और बताया कि कैसे उनके पेरेंट्स ने उन्हें सेक्स शब्द का इस्तेमाल करने से मना किया था. उस दौरान वो 18 साल की थीं.
एक्ट्रेस पर लगी रोक
सुष्मिता ने रिया चक्रवर्ती को दिए इंटरव्यू में कहा कि उस समय समाज आज की तरह खुले विचारों वाला नहीं था. ये ‘हौ’ जैसा था. उस समय सब कुछ ‘हौ’ था, इस हद तक कि मेरी मां और बाबा को मुझे बैठाकर कहना पड़ा, ''तुम्हारे कंधों पर बहुत कुछ टिका हुआ है और क्या तुम जो कह रहे हो उस पर थोड़ा रोक लगा सकते हो. 18 साल की उम्र में इंटरव्यू में ‘सेक्स’ शब्द का इस्तेमाल क्यों? शोभा डे तुम्हारे बारे में बहुत बुरा लिख रही हैं.''
सुष्मिता ने किया दरकिनार
साथ ही सुष्मिता ने बताया कि मां-पिता की रोक का उनपर कोई असर नहीं पड़ा. एक बार शोभा डे के इंटरव्यू में उन्होंने जानबूझकर सेक्स शब्द का इस्तेमाल किया. एक्ट्रेस बोलीं- मुझे याद है कि वो नाम स्पेशली बंगाली में आया था. बंगालियों को बड़ा बुद्धिजीवी माना जाता है. इसलिए, इंटलेक्चुअल आर्टिकल्स परेशान करने वाले थे, गपशप वाले नहीं. मैंने सोचा कि ठीक है, समझ गई. फिर मैंने शोभा डे के साथ एक इंटरव्यू किया और जानबूझकर 'सेक्स' शब्द का इस्तेमाल किया. मैंने ये शब्द इसलिए उठाया क्योंकि मैं जो कुछ भी बनना चाहती थी वो 'मिस यूनिवर्स' या 'सबसे खूबसूरत इंसान' नहीं था. मैं एक आजाद पढ़ी लिखी इंसान बनना चाहती थी, कोई ऐसा व्यक्ति जो सही मायने में स्वतंत्र हो. इसलिए उस कोशिश में मैं भारत की पहली मिस यूनिवर्स बनी थी.

रूसी बैले डांसर क्सेनिया रयाबिनकिना कैसे राज कपूर की क्लासिक फिल्म मेरा नाम जोकर में मरीना बनकर भारत पहुंचीं, इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है. मॉस्को से लेकर बॉलीवुड तक का उनका सफर किसी फिल्मी किस्से से कम नहीं. जानिए कैसे उनकी एक लाइव परफॉर्मेंस ने राज कपूर को प्रभावित किया, कैसे उन्हें भारत आने की इजाजत मिली और आज वो कहां हैं और क्या कर रही हैं.

शहनाज गिल ने बताया कि उन्हें बॉलीवुड में अच्छे रोल नहीं मिल रहे थे और उन्हें फिल्मों में सिर्फ प्रॉप की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था. इसी वजह से उन्होंने अपनी पहली फिल्म इक कुड़ी खुद प्रोड्यूस की. शहनाज ने कहा कि वो कुछ नया और दमदार काम करना चाहती थीं और पंजाबी इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाना चाहती थीं.

ओटीटी के सुनहरे पोस्टर भले ही ‘नई कहानियों’ का वादा करते हों, पर पर्दे के पीछे तस्वीर अब भी बहुत हद तक पुरानी ही है. प्लेटफ़ॉर्म बदल गए हैं, स्क्रीन मोबाइल हो गई है, लेकिन कहानी की कमान अब भी ज़्यादातर हीरो के हाथ में ही दिखती है. हीरोइन आज भी ज़्यादातर सपोर्टिंग रोल में नज़र आती है, चाहे उसका चेहरा थंबनेल पर हो या नहीं. डेटा भी कुछ ऐसी ही कहानी कहता है.










