
क्राइम और फैमिली ड्रामा का पहला कॉकटेल... शांत-शातिर और डेंजरस 'गॉडफादर' की दीवानगी 53 साल बाद भी क्यों जस की तस?
AajTak
अमेरिकी क्राइम ड्रामा फिल्म द गॉडफादर 1972 में जब सिनेमाघरों में रिलीज हुई. वह वर्ल्ड सिनेमा में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी. अल पचीनो को इस फिल्म से कल्ट का दर्जा हासिल हुआ. मार्लन ब्रैंडो ने विटो कॉर्लियोनी के किरदार को सदा के लिए अमर कर दिया. अब 53 साल बाद यह फिल्म भारत में सिनेमाघरों में दोबारा दिखाई जा रही है. दशकों बाद भी यह कल्ट क्लासिक क्यों इतनी प्रासंगिक बनी हुई है. आइए जानते हैं:-
गॉडफादर.... जब भी मेरे जहन में यह शब्द कौंधता है तो यकीन मानिए सबसे पहले विटो कॉर्लियोनी के रूप में एक्टर मार्लन ब्रैंडो की छवि उभरकर सामने आती है. काला सूट-बूट पहने बिल्ली को प्यार से सहलाते डॉन विटो कॉर्लियोनी जब-जब स्क्रीन पर आए, दर्शकों की नजरें उन पर फ्रीज हो गईं. कमरे की मद्धम रोशनी में कुर्सी पर बैठकर टकटकी लगाकर देखते विटो के हिस्से जब कोई डायलॉग भी नहीं आया तब भी उन्होंने अपनी खामोशी से बहुत कुछ बयां कर दिया. उनकी शख्सियत के ठहराव और धीमी आवाज ने उन्हें असरदार बनाया. कारोबार और परिवार के बीच संतुलन बनाने में यकीन रखने वाले डॉन विटो जानते थे कि असली ताकत परिवार में है. 1972 में रिलीज द गॉडफादर फिल्म की आज 53 साल बाद चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि भारत में इसे दोबारा रिलीज किया गया है.
गॉडफादर उन कुछ चुनिंदा फिल्मों में से एक है, जिन्हें वर्ल्ड सिनेमा का चेहरा बदलने का श्रेय दिया जाता है. मारियो पूझो के नोवल द गॉडफादर पर आधारित तीन पार्ट्स में बनी ये फिल्म माफिया डॉन के रूप में विटो कॉर्लियोनी और उनके बेटे माइकल की जिंदगी, सत्ता की जद्दोजहद, विश्वासघात और पारिवारिक रिश्तों की कहानी है.
जानकर अचरज होगा कि गॉडफादर शब्द की शुरुआत अपराध की दुनिया से नहीं बल्कि चर्च के गलियारों में पहली बार हुई थी. यूरोप के कैथोलिक समाज में जब किसी बच्चे का बैप्टिज्म होता था तो उस बच्चे के मां-बाप उसके लिए एक संरक्षक का चुनाव करते थे, इसी संरक्षक को गॉडफादर कहा जाता था. गॉडफादर की जिम्मेदारी उस बच्चे को नैतिकता का रास्ता दिखाने की होती थी.
लेकिन समय के साथ-साथ इस शब्द के मायने बदले. 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका में इटैलियन माफियाओं ने तेजी से पैर पसारने शुरू किए. ये माफिया बॉस अपने गैंग को परिवार की तरह समझते थे. इस वजह से गैंग मेंबर्स ने अपने बॉस को गॉडफादर कहना शुरू कर दिया. 1969 में इटैलियन राइटर मारियो पूझो ने अपने नोवल द गॉडफादर से इस शब्द को नई पहचान दी. इसी उपन्यास पर हॉलीवुड डायरेक्टर फ्रांसिस फोर्ड कोपोला ने द गॉडफादर फिल्म बनाई जो कालजयी साबित हुई और इस तरह यह शब्द दुनिया में हमेशा के लिए रच-बस गया.
फिल्म की कहानी परिवार, वफादारी, वर्चस्व की जंग, बदले और माफिया की दुनिया के नैतिक द्वंद्व को समेटे हुए है. इस फिल्म ने गैंगस्टर जॉनर को नई ऊंचाइयां दी. न्यूयॉर्क के कॉर्लियोनी परिवार का मुखिया विटो कॉर्लियोनी जिसे गॉडफादर कहा जाता है. इटली में एक त्रासदी के बाद लड़कपन में ही अमेरिका आकर बसा. विटो मेहनत और चालाकी के दम पर माफिया साम्राज्य का सरगना बनता है. गॉडफादर के रूप में विटो कॉर्लियोनी का किरदार कालजयी है, जो शांत है, ताकतवर और शातिर भी है. परिवार के प्रति समर्पित है और फेवर के बदले वफादारी मांगता है. विटो को पता है बिजनेस कैसे करना है, वह क्रूर है लेकिन एक दयालु पिता भी है. गॉडफादर के रूप में वह जितना शातिर है उतना ही फैमिली मैन भी.
गॉडफादर फिल्म सिर्फ अपराध के ईर्द-गिर्द बुनी गई कहानी नहीं है बल्कि यह परिवार, सत्ता और मानवीय मूल्यों को गहराई देती है. विटो और माइकल का व्यक्तित्व हमें मानव व्यवहार, नैतिकता और परिवार के महत्व पर सोचने पर मजबूर करता है.













