
ऑस्कर्स में भारत की एंट्री 'होमबाउंड' इस वजह से है दमदार चॉइस, एकेडमी के पैमानों पर उतरती है खरी
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ऑस्कर्स 2025 के लिए, डायरेक्टर नीरज घायवान की फिल्म 'होमबाउंड' को भारत की ऑफिशियल एंट्री चुन लिया गया है. इतनी बड़ी घोषणा हो और सिनेमा फैन्स में इसके गुण-दोष को लेकर बहस न हो ये कैसे हो सकता है. मगर ऑस्कर्स वाली एकेडमी का एजेंडा समझें तो 'होमबाउंड' परफेक्ट फिल्म है. कैसे? चलिए बताते हैं...
डायरेक्टर नीरज घायवान की फिल्म 'मसान' (2015) का असर शायद ही सच्चे फिल्म लवर्स के दिल-ओ-दिमाग से कभी उतरे. ये फिल्म देखने के बाद लोगों ने नीरज की फिल्ममेकिंग पर खूब चर्चा की थी. अब नीरज एक बार फिर से चर्चा में हैं. उनकी फिल्म 'होमबाउंड' को भारत की तरफ से ऑस्कर्स 2025 के लिए चुना गया है.
दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म अवॉर्ड्स, ऑस्कर्स में भारत की उम्मीदें हर साल टूटती रही हैं. आमिर खान की 'लगान' (2001) को ऑस्कर्स में नॉमिनेशन मिलने के बाद, अगली बार भारत की उम्मीदें 2022 में आई 'द छेलो शो' से लगी थीं. ये गुजराती फिल्म नॉमिनेशन तक तो नहीं पहुंच सकी, मगर कम से कम शॉर्टलिस्ट तक पहुंची थी. इसलिए हर साल जब भारत की तरफ से कोई फिल्म ऑस्कर्स के लिए भेजी जाती है. तो इस बात को लेकर सिनेमा फैन्स में खूब बहस होती है कि जो फिल्म भेजी गई है, उसका चांस मजबूत है या नहीं.
यही बहस होमबाउंड को लेकर भी शुरू हो चुकी है. मगर ऑस्कर्स के नियमों को समझने वाले जानते हैं कि 'होमबाउंड' भारत की तरफ से एक अच्छी चॉइस हो सकती है. आइए बताते हैं कि ऑस्कर्स के किन नियमों से फिल्मों का माहौल बदलता है और क्यों 'होमबाउंड' इनपर खरी उतरती है.
'होमबाउंड' को चुने जाने पर क्यों हो रही बहस? जहां कई सोशल मीडिया हैंडल इस बात की आलोचना कर रहे हैं कि भारत की तरफ से हमेशा ऐसी फिल्मों को भेजा जाता है जो हमारे समाज के पिछड़ेपन और दरारों को दिखाती हैं. वहीं कई हैंडल 'होमबाउंड' को सही चॉइस भी बता रहे हैं क्योंकि इसे इंटरनेशनल फिल्ममेकर मार्टिन स्कॉर्सीसी का सपोर्ट हासिल है.
मार्टिन इस फिल्म से बतौर एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर जुड़े हैं. बड़े इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में ये फिल्म दुनिया भर के फिल्ममेकर्स और सिनेमा क्रिटिक्स से दमदार रिस्पॉन्स बटोर चुकी है. कान्स फिल्म फेस्टिवल में इसे 9 मिनट का स्टैंडिंग ओवेशन मिला था. टोरंटो फिल्म फेस्टिवल की इंटरनेशनल पीपल्स चॉइस अवॉर्ड कैटेगरी में 'होमबाउंड' सेकंड रनर-अप रही थी.
ऑस्कर्स का कैम्पेन, सिर्फ पैसों के बल पर ही पूरा नहीं होता. ये अवॉर्ड देने वाली 'एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज' (शॉर्ट में कहें तो 'एकेडमी') का स्ट्रक्चर ऐसा है कि आपकी फिल्म से, एकेडमी के सदस्य इम्प्रेस होने चाहिए. 'होमबाउंड' के साथ जुड़ा मार्टिन स्कॉर्सीसी का नाम और इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में इसका रन, ये इम्प्रेशन बनाने में काम आएगा. इसके अलावा एकेडमी के मेंबर्स आजकल एक और चीज पर बहुत ध्यान देने लगे हैं, जिसपर 'होमबाउंड' बहुत खरी उतरती है. इन्हें कहते हैं RAISE गाइडलाइन्स.













