आनंद: राजेश खन्ना-अमिताभ बच्चन की कालजयी फ़िल्म का रीमेक, कितनी बड़ी चुनौती
BBC
साल 1971 में प्रदर्शित हुई फ़िल्म 'आनंद' के निर्माता एनसी सिप्पी के पोते समीर सिप्पी ने इसे फिर से बनाने का एलान किया है. कई लोगों की राय है कि उनके लिए 'आनंद' का रीमेक बनाना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.
आनंद मरा नहीं, आनंद मरते नहीं.
फ़िल्मकार एन सी सिप्पी और हृषिकेश मुखर्जी की फ़िल्म 'आनंद' जब सन 1971 में प्रदर्शित हुई, तब ये संवाद फ़िल्म का महज़ एक संवाद था. लेकिन अब ये संवाद एक हक़ीक़त है, एक सच बन चुका है.
रिलीज़ होने के क़रीब पांच दशक बाद जब हाल ही में एन सी सिप्पी के पोते समीर राज सिप्पी ने 'आनंद' का रीमेक बनाने की घोषणा की तो सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का सैलाब आ गया.
बहुत लोग सोचते थे कि नई पीढ़ी के लोगों को अब भला 'आनंद' कहाँ पता होगी. लेकिन इंटरनेट पर सर्वाधिक देखी जाने वाली कालजयी हिंदी फिल्मों में 'आनंद' शीर्ष की 15 ख़ूबसूरत फ़िल्मों में आकर आज भी करोड़ों दर्शक बटोर रही है. इससे यह साफ़ होता है कि जिन लोगों का 'आनंद' के प्रदर्शन के समय जन्म भी नहीं हुआ था, ऐसे युवा भी 'आनंद' को देख, उसे पसंद कर रहे हैं.
इसलिए बहुत से दर्शक यह मान रहे हैं कि 'आनंद' का रीमेक बनाना आसान नहीं है.'आनंद' जैसी उत्कृष्ट फिल्म आज फिर कोई नहीं बना सकता. ये तय है कि समीर सिप्पी के लिए 'आनंद' का रीमेक बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती रहेगी.