
असरानी की एक्टिंग का असर देखना हो तो सिर्फ उनकी कॉमेडी नहीं, ये किरदार देखना
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दिवाली के दिन दुनिया से विदा लेने वाले बॉलीवुड आइकॉन असरानी को लोग उनके कॉमेडियन किरदारों से ही ज्यादा याद रखते हैं. मगर हंसाते-हंसाते पेट दुखा देने वाले इन किरदारों से अलग उन्होंने तमाम ऐसे किरदार भी निभाए, जो उनके एक्टिंग टैलेंट की मिसाल हैं.
रौशनी के त्यौहार दिवाली पर जब घर-घर दीयों की कतारें सजी थीं, तब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का एक ऐसा चिराज बुझ गया जिसने 50 सालों से ज्यादा बड़े पर्दे को रौशन किया. फिल्म फैन्स की कई पीढ़ियों को एंटरटेन करने वाले असरानी ने सोमवार को, दिवाली के दिन इस संसार को अलविदा कह दिया.
असरानी साहब की फिल्मी विरासत के लिए शब्द शायद ही कभी पूरे पड़ें. मगर इंडियन सिनेमा के सच्चे फैन्स के लिए वो ऐसे आइकॉन थे, जिनके पर्दे पर आते ही थिएटर्स का माहौल बदल जाता था. ऐसा अधिकतर उनकी कॉमेडी की वजह से हुआ. 'शोले' के एवरग्रीन जेलर का किरदार हो, या प्रियदर्शन की तमाम मॉडर्न फिल्मों में कन्फ्यूजन का चेहरा बने असरानी... फिल्में चलें ना चलें, असरानी के सीन्स के बीच सीट छोड़ने का खयाल किसी को आ ही नहीं सकता था.
असरानी भले ही आज लोगों को अपनी कॉमेडी की वजह से याद रहते हों, उन्होंने हर तरह के किरदारों को यादगार बनाया था. उनके निभाए सपोर्टिंग किरदारों की अपनी एक बड़ी विरासत है, इनमें वो किरदार भी खूब हैं जिन्हें 'सीरियस' एक्टिंग के चश्मे से देखा जाता है.
असरानी के 'गंभीर' किरदार सपोर्टिंग किरदारों में असरानी के दमदार काम का एक सबूत ये है कि गुलजार, बासु चैटर्जी और ऋषिकेश मुखर्जी जैसे बेहतरीन डायरेक्टर्स ने उनके साथ खूब काम किया. इन डायरेक्टर्स ने अपनी फिल्मों में उन्हें वो किरदार दिए जो जिंदगी के अलग-अलग पहलुओं और संघर्षों का चेहरा होते थे.
ऋषिकेश मुखर्जी की 'सत्यकाम' (1969) अपने आदर्शवादी फलसफे से दुनिया नापने निकले धर्मेंद्र के किरदार की कहानी थी. मगर इस फिल्म में असरानी ने पीटर का किरदार निभाया था. असरानी के एक्सप्रेशंस के खजाने को मुखर्जी ने फिल्म की टोन सेट करने वाले गाने 'जिंदगी है क्या' में बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया था. उस दौर में असरानी ने कई किरदारों में ये दिखाया कि उनके पास भले एक्सप्रेशंस का खजाना हो, मगर वो इसे खर्च करने में किफायत बरतना भी जानते हैं.
1971 में आई आइकॉनिक फिल्म 'मेरे अपने' में श्याम (विनोद खन्ना) और छेनू (शत्रुघ्न सिन्हा) के लीड किरदार लोगों को आज भी याद रहते हैं. मगर छेनू की गैंग में रघुनाथ ही वो लड़का था, जिसके अफेयर के चक्कर में श्याम की गैंग के साथ क्लेश शुरू हुआ था. गुलजार की इस फिल्म में असरानी को देखकर शायद ही कोई कह सके कि ये लड़का आगे चलकर बॉलीवुड का आइकॉनिक कॉमेडियन कहलाएगा. गुलजार की ही 'कोशिश' (1972) में असरानी ने एक लालची भाई का किरदार निभाया था. जिसकी वजह से उसकी गूंगी-बहरी बहन के बच्चे की मौत हो जाती है.













