
अनिल अंबानी के इस शेयर का क्या होगा? ED ने फाइल की चार्जशीट, नकली बैंक गारंटी का मामला!
AajTak
ईडी ने रिलायंस पावर लिमिटेड और उससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ एक चार्जशीट फाइल की है. यह चार्जशीट एक टेंडर हासिल करने के लिए नकली बैंक गारंटी देने से संबंधित है.
ED ने रिलायंस पावर लिमिटेड और उससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ एक सप्लीमेंट्री प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट (चार्जशीट) फाइल की है. यह केस सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को एक बड़े एनर्जी स्टोरेज प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिए नकली बैंक गारंटी जमा करने से जुड़ा है. इस बीच, शुक्रवार को रिलायंस पावर के शेयरों में 1.23% की गिरावट आई और यह 37.71 रुपये पर क्लोज हुआ.
यह चार्जशीट ईडी के उस जांच से संबंधित है, जो दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेस विंग (EOW) द्वारा रजिस्टर की गई एफआईआर की है. यह एफआईआर एक SECI ने रिलायंस NU BESS लिमिटेड (रिलायंस पावर की सब्सिडरी) के खिलाफ फाइल की थी और दूसरी रिलायंस NU BESS ने खुद ओडिशा की बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड और उसके मैनेजिंग डायरेक्टर, पार्थ सारथी बिस्वाल के खिलाफ FIR फाइल की थी.
नकली बैंक गारंटी ईडी की जांच में पाया गया है कि ₹68.2 करोड़ की जरूरत के लिए बोली लगाने में नकली बैंक गारंटी का इस्तेमाल किया गया है. रिलायंस NU BESS ने 1000 MW / 2000 MWh स्टैंडअलोन बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) प्रोजेक्ट्स लगाने के लिए SECI के टेंडर के लिए बोली लगाई थी, जिसमें ₹68.2 करोड़ की बैंक गारंटी की आवश्यकता थी. टेंडर नियमों के तहत, विदेशी बैंकों की जारी गारंटी को उनकी भारतीय ब्रांच या स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) से मंजूरी मिलनी चाहिए. हालांकि ईडी की जांच में पता चला कि रिलायंस पावर ने 'गलत इरादे' से एक नकली बैंक गारंटी हासिल करने के लिए शेल कंपनी बिस्वा ट्रेडलिंक को हायर किया था.
नकली बैंक, नकली डोमेन और नकली ईमेल ये गारंटी कथित तौर पर मनीला में एक ऐसी फर्स्टरैंड बैंक ब्रांच से जारी की गई थीं जो मौजूद ही नहीं थी और मलेशिया में ACE इन्वेस्टमेंट बैंक लिमिटेड का भी कुछ ऐसा ही मामला था. फिर एक नकली SBI ईमेल ID और नकली लेटर का इस्तेमाल करके नकली एंडोर्समेंट बनाए गए. धोखेबाजों ने धोखाधड़ी करने के लिए एक नकली डोमेन s-bi.co.in, जो ऑफिशियल sbi.co.in जैसा दिखता था भी रजिस्टर्ड किया था.
फर्जी वर्क ऑर्डर, बोगस इनवॉइस के ज़रिए फंड भेजा गया ऑपरेशन को फाइनेंस करने के लिए रिलायंस पावर ने कथित तौर पर एक दूसरी ग्रुप कंपनी, रोजा पावर सप्लाई कंपनी लिमिटेड से बिस्वाल ट्रेडलिंक को ट्रांसपोर्टेशन सर्विस के बहाने ₹6.33 करोड़ दिए, लेकिन असल में यह ट्रांजेक्शन कभी हुए ही नहीं. रिलायंस ग्रुप के अधिकारियों ने बिस्वाल के साथ मिलकर नकली वर्क ऑर्डर और इनवॉइस बनाए थे. इसके अलावा, रिलायंस पावर ने कथित तौर पर एक अरेंजमेंट को सही दिखाने के लिए बिस्वाल ट्रेडलिंक को फीस के तौर 5.40 करोड़ रुपये दिए थे.
रिलायंस को पता था कि गारंटी नकली है ED के मुताबिक, रिलायंस ग्रुप के खास अधिकारियों को पता था कि एक नकली SBI ईमेल का इस्तेमाल करके SECI को एक नकली बैंक गारंटी जमा की गई थी. जब SECI ने धोखाधड़ी का पता लगाया और रेड फ्लैग दिखाया, तो रिलायंस ने 24 घंटे के अंदर IDBI बैंक से एक असली गारंटी का इंतजाम किया. लेकिन डेडलाइन खत्म होने के कारण, SECI ने इसे लेने से मना कर दिया.













