Ramayan : बहू पर कुदृष्टि रखने वाले रावण को श्राप के चलते नहीं मिलीं थीं सीता
ABP News
रावण दशानन था, उसको विभीषण की मदद के बिना मारना श्री राम के लिए भी सहज नहीं था. ऐसा बलवान, शक्तिवान, बुद्धिमान रावण जानकी के आगे हार गया. सीता को कैद में रखने के बाद भी खुद को मिले एक घातक श्राप के कारण रावण कभी भी उन्हें स्पर्श नहीं कर सका.
Ramayan : सीता को पाने की अहंकारी राक्षसराज रावण की चाहत ताउम्र के लिए इच्छा ही रह गई. विश्वविजेता रावण जब स्वर्ग पहुंचा तो उसकी काम इच्छा ने उससे ऐसा अपराध करा दिया, जिससे वह कुबेर के बेटे नलकुबेर के श्राप का भागी बना. वाल्मीकि रामायण में उत्तरकांड के 26वें अध्याय में वर्णन है कि विश्वविजेता रावण एक बार स्वर्ग पहुंचा, जहां उसने अप्सरा रंभा के मना करने के बावजूद उस पर कुदृष्टि डाली. रम्भा कुबेर के बेटे नलकुबेर को समर्पित थीं. इस नाते रंभा रावण की बहू हुईं. रंभा ने रावण से कहा कि मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित हूं. मगर मदांध रावण ने इसे अनसुना कर अपनी इच्छा पूर्ण की. रावण के कुकृत्य से क्रोधित नलकुबेर ने रावण को श्राप दे दिया कि वह किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा बिना स्पर्श करेगा तो मस्तक के सौ टुकड़े हो जाएंगे.More Related News
