Pegasus फोन टैपिंग: मामला सिर्फ प्राइवेसी के हनन का नहीं,राष्ट्रीय सुरक्षा का है
The Quint
Pegasus spying journalist:Pegasus फोन टैपिंग: मामला सिर्फ प्राइवेसी के हनन का नहीं राष्ट्रीय सुरक्षा है जासूसी कर रहीं सरकारें, सामने आई 40 भारतीय पत्रकार की पहली लिस्ट,pegasus spyware indian journalists phones hacked privacy national security
भारत सरकार द्वारा पेगासस (Pegasus) के जरिए पत्रकारों की जासूसी की खबर के साथ एक बार फिर निजता पर बहस होने लगेगी. हालांकि इसका एक और पक्ष है और वह राष्ट्रीय सुरक्षा का.सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के सीक्रेट का हवाला देते हुए इस बारे में जानकारी देने से इंकार कर देगी कि किसकी जासूसी की गई थी और वह कौन से लोग हैं जो पत्रकारों के फोन कॉल्स और मैसेज को सुन-देख रहे थे. लेकिन यह स्पष्ट है कि जिन लोगों की जासूसी हो रही थी उनको राजनीतिक आधार पर चुना गया था.स्टोरी में केवल उन पत्रकारों को शामिल किया गया है, जिनकी जासूसी की गई थी.संभवतः ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकांश राजनेता, न्यायाधीश और अधिकारी फोरेंसिक ऑडिट के लिए अपने फोन को सौंपने के लिए तैयार नहीं होंगे, जो कि नामों की सूची की पुष्टि के लिए आवश्यक था. लेकिन जब इस क्षमता का उपयोग एक साथ इतने पत्रकारों पर किया गया है तब दूसरों के खिलाफ इसके इस्तेमाल की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. लेकिन ऐसी गैरकानूनी जासूसी राष्ट्र की सुरक्षा के बजाय भारत की सुरक्षा को खतरे में डालने जैसा है.पिछले एक साल से हम आधुनिक दुनिया में सत्ता की गतिशीलता पर एक किताब लिखने के लिए रिसर्च कर रहे हैं, जिसका टाइटल है "द आर्ट ऑफ कंज्यूरिंग अल्टरनेट रियालिटीज" और यह स्पष्ट है कि सत्ता उसके हाथ में है जो सूचना को नियंत्रित करता है और उस हकीकत को आकार देता है जिसमें लोग विश्वास करते हैं.और अपनी इसी क्षमता को मजबूत करने को भारत सरकार ने प्रमुख व्यक्तियों की जासूसी करने के लिए पेगासस (Pegasus) का इस्तेमाल किया. लेकिन चूंकि इस तरह के ऑपरेशन के खिलाफ कोई सेफगार्ड या प्रक्रियाएं नहीं है, इसलिए इस ऑपरेशन में प्राप्त सामग्री का आसानी से इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग और डराने धमकाने के लिए किया जा सकता है.ADVERTISEMENTकोई गारंटी नहीं है कि ऐसा डेटा सिर्फ हमारी सरकार के पास रहेगाइससे भी बुरी बात यह है कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ऐसा डेटा सिर्फ हमारी सरकार के पास रहेगा. हम यह भी नहीं जानते कि रिकॉर्डिंग सुनने वाले लोग सरकारी कर्मचारी थे या इस काम के लिए किसी निजी संस्था को आउटसोर्स किया गया था.यह पूरी तरह से संभव है कि इस तरह के निजी कॉल्स और मैसेज शत्रुतापूर्ण विदेशी सरकारों या बिजनेस इंटरेस्ट के लिए लीक हो जाए. 'सूच...More Related News