Jyotirlinga: त्रयम्बकेश्वर पहला पीठ जहां, लिंग स्वरूप में विराजे हैं त्रिदेव
ABP News
12 ज्योतिर्लिंगों से से एक त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश एक साथ स्थापित हैं.
Jyotirlinga : 12 ज्योतिर्लिंगों में त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग को दसवां स्थान हासिल है. गो हत्या से बचने के लिए गौतम ऋषि की शिव तपस्या से खुश होकर त्रयम्बकेश्वर महाराज प्रकट हुए थे. काले पत्थरों से बना यह मंदिर देखने में जितना खूबसूरत है, उतनी ही इसकी धार्मिक आस्था है. यहां गाय को हरा चारा खिलाने का विशेष महत्व है. मंदिर में प्रवेश से पहले कुशावर्त कुंड में नहाने के बाद हर सोमवार भगवान त्रयम्बेकश्वर की पालकी निकाली जाती है, जो कुशावर्त ले जाई जाती है. यहां गोदावरी और अहिल्या नदी का संगम स्थल भी है. मान्यता है कि इसमें श्रद्धालु संतान प्राप्ति की कामना से स्नान करते हैं. मंदिर के पंचकोशी में कालसर्प शांति, त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबली आदि पूजा भी कराई जाती है. मंदिर का र्जीणोधार तीसरे पेशवा बाला साहेब यानी नाना साहेब पेशवा ने करवाया था. यह काम सन 1955 से 1786 के दरिमयान करीब 16 लाख रुपये खर्च कर कराया गया था.More Related News