
Jaya Ekadashi 2022: क्यों दिया था भगवान इंद्र ने माल्यवान और पुष्पवती को श्राप, जानें जया एकादशी व्रत की संपूर्ण कथा
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jaya ekadashi 2022: क्या है जया एकादशी व्रत का रहस्य. जाने क्यों करते हैं इस दिन विष्णु जी के स्वरूप की पूजा-अर्चना, जन्म-जन्मांतरों के दोषों और ब्रह्म इत्यादि जैसे पातकों से भी छुटकारा मिल जाता है.
jaya ekadashi 2022: जया एकादशी व्रत माघ शुक्ल पक्ष एकादशी को किया जाता है. इस तिथि को वसुदेव-देवकी नंदन भगवान श्री कृष्ण की आराधना और पूजा करनी चाहिए. दिन-रात्रि के प्रत्येक क्षण में श्री कृष्ण के नामों का संकीर्तन वाणी के द्वारा हो, श्री चरणों में अनुराग हो, हृदय प्रेम से पुल कायमान हो, भगवान का दिव्य प्रसाद भक्तों और साधक को प्राप्त हो, तो निश्चय ही इस व्रत को करने वाले मनुष्य भूत-प्रेतादि योनियों से मुक्त हो जाते हैं. इतना ही नहीं, वरन जन्म-जन्मांतरों के दोषों तथा ब्रह्म इत्यादि जैसे पातकों से भी छुटकारा मिल जाता है.
जया एकादशी व्रत कथाजया व्रत के संबंध में एक बार धर्मराज पांडु नंदन युधिष्ठिर से सच्चिदानंद स्वरूप यशोदा नंदन से पूछा, तब श्री कृष्ण ने इस संबंध में एक सुंदर आख्यान सुनाते हुए कहा, इस बार इंद्र की सभा में अप्सराएं नृत्य एवं गंधर्वों में प्रसिद्ध पुष्पवंत, उसकी लड़की तथा चित्रसेन की स्त्री मालिन ये सब थे. वहीं मालिन का पुत्र पुष्पवान और उसका पुत्र माल्यवान भी थे. उस समय पुष्पवती नामक एक गंधर्व स्त्री माल्यवान को देखकर मोहित हो गयी और काम उसके मन में जागने लगा.
