Attack Movie Review: सुपर सोल्जर का तो पता नहीं, रोमांच से भरपूर दिखी जॉन अब्राहम की फिल्म
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Attack Review: जॉन अब्राहम की सुपर सोल्जर वाली फिल्म अटैक रिलीज हो गई है. इंडिया का पहला सुपर सोल्जर है, इसलिए ज्यादा बज बनाया गया. देखनी चाहिए या नहीं, अभी बता देते हैं.
जॉन अब्राहम की अटैक रिलीज हो गई है. फिल्म ने देश को अपना पहला सुपर सोल्जर दे दिया है. कह रहे हैं कि सबकुछ कर सकता है, नॉर्मल से तो काफी ज्यादा ऊपर का बताया गया है. लेकिन फिर भी बीच-बीच में सवाल आता है कि आखिर ये 'सुपर सोल्जर' होता क्या है? ये समझना ज्यादा जरूरी इसलिए बन जाता है क्योंकि जब आप फिल्म देखेंगे, इस एक जवाब में ही आप फिल्म को अच्छा या बेकार बता सकते हैं. चलिए मैं आपको अपना नजरिया बता देता हूं.....
कहानी
भारत की संसद पर आतंकियों ने हमला कर दिया है. लश्कर ए तैयबा के दहशतगर्दों ने 300 से ज्यादा सांसदों और प्रधानमंत्री तक को अपने कब्जे में ले रखा है. अब बाकी कहानी वहीं है, आतंकी अपना खौफ दिखा रहे हैं, सरकार उनसे बातचीत कर रही है, सेना बड़े हमले की परीमशन चाहती है और बीच में खड़ा है देश का पहला सुपर सोल्जर अर्जुन शेरगिल ( जॉन अब्राहम). थोड़ा सा पीछे चलते हैं, अर्जुन भारतीय सेना का एक जाबाज ऑफिसर है. कई मुश्किल ऑपरेशन को अंजाम दे चुका है. उसका अगला टार्गेट हामिद गुल (Elham Ehsas) है. अब आतंकी हमले इतने ज्यादा हो गए हैं कि सुरक्षा एजेंसियां कुछ बड़ा करना चाहती हैं, ऐसा जो किसी ने नहीं किया.
यही से आइडिया आता है सुपर सोल्जर का और काम पर लग जाती हैं वैज्ञानिक सभा (रकुल प्रीत सिंह). वो एक ऐसी चिप तैयार करती हैं जिसके दम पर सुपर सोल्जर तैयार किया जा सकता है. उस चिप को अर्जुन शेरगिल में डाला जाता है और बस फिर वो पूरी तरह ट्रॉसफॉर्म हो जाता है और देश को मिलता है पहला सुपर सोल्जर. अब कैसे वो दूसरों से अलग है, संसद में फंसे लोगों को वो कैसे बचा पाएगा या बचा भी पाएगा, ये सब डायरेक्टर लक्ष्यराज सिंह की फिल्म देखकर पता चल जाएगा.
लॉजिक मत तलाशिए, सिर्फ एन्जॉय
जॉन अब्राहम की ये नई फिल्म थोड़ी अलग तो है. मतलब कहानी में कोई नयापन नहीं है, वहीं प्लॉट है जो हर देशभक्ति वाली फिल्म में बॉलीवुड रखता है. लेकिन फिर भी रोमांच महसूस होता है. फिल्म की लेंथ भी क्योंकि दो घंटे से कम है, तो ज्यादा सोचने का वैसे भी मौका नहीं लगता. सबकुछ काफी फॉर्स्ट पेस्ड है, तेजी से सबकुछ होता है, खूब सारा एक्शन दिखता है, बड़े-बड़े धमाके और फिल्म खत्म. इसे ऐसे समझ लीजिए कि आप जब रोहित शेट्टी की कोई फिल्म देखते हैं तो कहानी से ज्यादा उड़ती गाड़ियां आपका स्वागत करती हैं. लॉजिक तो आप देखना ही नहीं चाहते हैं. यहां अटैक में वहीं सब है, लॉजिक मत तलाशिए और स्क्रीन पर जो हो रहा है, बस एन्जॉय करते रहे. ऐसा करेंगे तो जॉन की ये फिल्म आपको रास आ जाएगी.