18 मई 1974: जब भारत में 'मुस्कुराए बुद्ध' तो पसीने-पसीने हो गए थे अमेरिका-पाकिस्तान
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भारत के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े और एक समय उसे पूरे दम-खम से संचालित करने वाले राजा रमन्ना की आत्म कथा है Years of Pilgrimage. यह आत्मकथा एक तरह से भारत के अति आधुनिक युग के पीछे की कहानी बताने वाला ऐतिहासिक दस्तावेज है.
नई दिल्लीः 1974 में मई के 18वें दिन की सुबह थी. राजधानी दिल्ली में सामान्य ही चहल-पहल थी. देश बुद्ध पूर्णिमा मना रहा था. परंपरा के मुताबिक एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री इंदिरागांधी देश वासियों को इस शुभ दिन की शुभकामनाएं दे चुकी थीं, लेकिन उस सुबह उनके मन में एक अलग ही बचैनी थीं. आदत के मुताबिक, मैडम प्राइम मिनिस्टर सुबह ही उठ चुकी थीं. उस दिन की खास सुबह अपने कुछ निजी और ऑफिशियल काम निपटाते हुए उनकी नजरें फोन पर पड़ जाती थीं, जैसे कि कोई खास फोन आने वाला हो. फोन आया. समय था 8 बजकर 10 मिनट के करीब. इधर से इंदिरा गांधी की हेलो हुई, उधर वाले ने कहा- बुद्ध मुस्कुराए.More Related News
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