
हरियाणा सरकार का दावा, उनके राजस्व रिकॉर्ड में ‘अरावली’ नाम का कोई शब्द नहीं है
The Wire
पर्यावरणीय विशेषज्ञों ने इस बात को लेकर चिंता ज़ाहिर की है कि ऐसा करके सरकार अरावली क्षेत्र में फैले करीब 20,000 एकड़ की वन भूमि को निर्माण कार्यों के लिए खोलना चाहती है.
नई दिल्ली: कानूनी एवं पर्यावरणीय विशेषज्ञों ने इस बात को लेकर चिंता जाहिर की है कि हरियाणा सरकार द्वारा अरावली पहाड़ियों को फिर से परिभाषित करने और फरीदाबाद में करीब 20,000 एकड़ की भूमि को ‘विकास कार्यों’ के लिए खोलने की इजाजत देना सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है.
हरियाणा सरकार की एक समिति ने अधिकारियों को केंद्र की 1992 की अधिसूचना के आधार पर अरावली के तहत आने वाले क्षेत्रों की पहचान करने की सलाह दी है, जिसमें केवल पुराने गुड़गांव जिले के क्षेत्र शामिल हैं.
इसे लेकर पर्यावरणविदों ने सवाल उठाया है कि क्या राष्ट्रीय संरक्षण क्षेत्र (एनसीजेड) के प्रावधान फरीदाबाद के अरावली क्षेत्रों पर लागू नहीं होंगे?
समिति ने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड केवल ‘गैर मुमकिन पहाड़’ (ऐसे पहाड़ी क्षेत्र जो कृषि योग्य नहीं हैं) की पहचान करते हैं.
