स्टैन स्वामी - UAPA की धारा 43D(5) जिसकी वजह से ज़मानत नहीं मिली
BBC
स्टैन स्वामी के वकील ने इस धारा की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी जिस पर सुनवाई चल रही थी लेकिन उसका फ़ैसला होने से पहले ही उनकी मौत हो गई.
जेल में बंद आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टैन स्वामी के निधन के बाद ये सवाल उठ रहा है कि 84 वर्ष की आयु के व्यक्ति को बार-बार मांगे जाने पर भी क्यों ज़मानत नहीं दी गई? अपनी मौत से दो दिन पहले ही स्वामी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक ऐसी धारा की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी जो किसी अभियुक्त की ज़मानत की प्रक्रिया को बेहद मुश्किल बना देती है. यह चुनौती यूएपीए की धारा 43डी (5) को दी गई थी, स्वामी की याचिका में यही कहा गया था कि यह धारा यूएपीए के प्रावधानों के तहत किसी भी अभियु्क्त की ज़मानत को तकरीबन असंभव बना देती है. क़ानून के कई जानकार कहते रहे हैं कि धारा 43डी (5) की वजह से "न्याय की प्रक्रिया ही सज़ा बन जाती है."More Related News