
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को संविधान संशोधन की अनुमति दी, जय शाह और गांगुली पदों पर बने रहेंगे
The Wire
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में जारी अनियमितताओं और पदाधिकारियों में 'हितों के टकराव' को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने द्वारा गठित जस्टिस लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू किया था, जिनके तहत बोर्ड के संविधान में एक प्रावधान यह था कि एक पदाधिकारी को 3 साल के कार्यकाल के बाद 3 सालों का ब्रेक लेना होगा. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इसमें संशोधन कर 6 साल के बाद ब्रेक लेने का प्रावधान किया था. अब नवीनतम आदेश में कहा गया है कि एक पदाधिकारी राज्य संघ और बीसीसीआई में कुल 12 साल बिता सकता है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के संविधान में संशोधन की अनुमति दे दी, जिससे इसके अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह के अनिवार्य ब्रेक (कूलिंग ऑफ पीरियड) पर जाए बगैर ही अपने-अपने पद पर बने रहने का रास्ता साफ हो गया है.
बीसीसीआई ने अपने प्रस्तावित संशोधनों में अपने पदाधिकारियों के लिए कूलिंग-ऑफ पीरियड में ढील देने की मांग की थी, जिससे गांगुली और शाह 30 सितंबर 2022 के बाद भी अगले तीन साल के कार्यकाल के लिए अध्यक्ष और सचिव के पद पर बने रहें. भारत के पूर्व कप्तान गांगुली और शाह अक्टूबर 2019 से बीसीसीआई में शीर्ष पदों पर हैं.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि एक पदाधिकारी का लगातार 12 साल का कार्यकाल हो सकता है, जिसमें राज्य संघ में छह साल और बीसीसीआई में छह साल शामिल हैं, लेकिन इसके बाद तीन साल के ब्रेक पर जाना होगा.
पीठ ने कहा कि एक पदाधिकारी बीसीसीआई और राज्य संघ दोनों स्तरों पर लगातार दो कार्यकाल के लिए एक विशेष पद पर काम कर सकता है, जिसके बाद उसे तीन साल का ब्रेक लेना होगा.
