
सिंधुताई काग़ज़ पर लिखी कविता के लिए जब नेवले से लड़ गईं
BBC
पूरे महाराष्ट्र में अनाथों की माता के रूप में जानी जाने वाली सिंधुताई की जीवन यात्रा बहुत कठिन थी. 20 साल की उम्र में उनके पति ने उन्हें 10 दिन की उनकी बेटी के साथ घर से निकाल दिया था.
वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता सिंधुताई सपकाल का सोमवार यानी 4 जनवरी, 2022 को निधन हो गया. 75 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका पुणे के गैलेक्सी अस्पताल में इलाज चल रहा था.
पूरे महाराष्ट्र में अनाथों की माता के रूप में जानी जाने वाली सिंधुताई की जीवन यात्रा बहुत कठिन थी. उन्होंने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अपनी कहानी खुद बयां की थी. उन्हीं के शब्दों में हम उनके संघर्षों की कहानी आपको बता रहे हैं-
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जब मेरी माँ को पता चला कि मैं घर में विद्रोह करके स्कूल जाना चाहती थी तो उन्होंने मेरी शादी करने का फ़ैसला किया. शादी के समय मैं दस साल की थी. मेरे पति की उम्र 35 साल थी. दुर्भाग्य से, मेरे पति को यह सहन नहीं था कि मैं पढ़ूं-लिखूं. वह शिक्षित नहीं थे. वे पढ़ नहीं सकते थे और उनकी पत्नी पढ़ सकती थी, इस बात पर उन्हें काफ़ी गुस्सा था, वे मुझे पढ़ते हुए देखना सहन नहीं कर पाते थे, मार-पीट करने लगते थे.
उस वक़्त मैं किस तरह से पढ़ने की कोशिश करती? उन दिनों किराना दुकानों पर पर्ची मिलती थी, एक तरफ लिखा होता था, उसे पढ़ती और दूसरी तरफ के हिस्से पर लिखने की कोशिश करती, क्योंकि पढ़ने के लिए कुछ भी उपलब्ध नहीं था. ससुराल में हर वक़्त लोग मेरी निगरानी किया करते थे. मेरे पति से कहा जाता था कि तुम्हारी पत्नी काम नहीं कर रही है, पढ़ने का नाटक कर रही है.
