सफलता की कुंजी: कछुए-खरगोश की कहानी की ये है सबसे अहम बात, ध्यान रखेंगे तो मिलेगी कामयाबी
ABP News
कछुआ और खरगोश की दौड़ की कहानी लगभग हर व्यक्ति ने सुनी है. इसमें कछुआ जीत जाता है. कछुआ खरगोश से धीमा चलता है, इसके बावजूद लक्ष्य पर खरगोश से पहले पहुंच जाता है.
सफलता पर की जाने वालीं विभिन्न चर्चाओं में अक्सर कछुआ और खरगोश की कहानी सुनाई जाती है. इन दोनों के बीच दौड़ होती है. कछुआ फर्राटा भरता है. कछुए से बहुत आगे निकल जाता है. आगे जाकर वह सुस्ताने लगता है. इधर, कछुआ धीमी गति से लगातार चलकर लक्ष्य पर खरगोश से पहले पहुंच जाता है. इस चर्चित मोटिवेशनल स्टोरी में सबसे महत्वपूर्ण बात है, उम्र और अनुभव. सब जानते हैं कि खरगोश की उम्र कम होती है. उसकी युवावस्था जल्द आती है. वहीं कछुए की उम्र तीन सौ वर्ष से भी ज्यादा होती है यानी उसकी युवावस्था तक कई खरगोश अपना जीवन चक्र पूरा कर लेते हैं. एक युवा कछुए और एक युवा खरगोश में उम्र, अनुभव और शारीरिक सामर्थ्य का अतुलनीय अंतर होता है. इसका आंकलन खरगोश अनुभवहीनता में नहीं कर पाता है. जबकि कछुए को निश्चित ही इसका आभास होता है कि खरगोश का व्यवहार किस प्रकार का हो सकता है.More Related News