संसद में उचित प्रतिनिधित्व के लिए महिलाओं का संघर्ष आज़ादी के 75 साल बाद भी जारी: कार्यकर्ता
The Wire
महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और सांसदों ने लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने के लिए विचार-विमर्श किया. लंबित विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में सभी सीटों का एक तिहाई हिस्सा महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है. राज्यसभा ने 2010 में विधेयक पारित किया, लेकिन लोकसभा में विधेयक पर कभी मतदान नहीं हुआ.
नई दिल्ली: महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और सांसदों ने लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने के लिए बृहस्पतिवार को विचार-विमर्श किया, जिसमें कहा गया कि आजादी के 75 साल बाद भी महिलाएं संसद में उचित प्रतिनिधित्व पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि महिलाओं को चुनावी राजनीति और संगठनात्मक राजनीतिक स्तर पर प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए. लंबित विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में सभी सीटों का एक तिहाई हिस्सा महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है. राज्यसभा ने 2010 में विधेयक पारित किया, लेकिन लोकसभा में विधेयक पर कभी मतदान नहीं हुआ और यह अभी भी लंबित है. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने विधेयक को पारित कराने के वास्ते ‘टूलकिट’ तैयार करने के लिए लोक विमर्श किया, और कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी महिलाएं लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में उचित प्रतिनिधित्व पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं.More Related News