Primary Country (Mandatory)

Other Country (Optional)

Set News Language for United States

Primary Language (Mandatory)
Other Language[s] (Optional)
No other language available

Set News Language for World

Primary Language (Mandatory)
Other Language(s) (Optional)

Set News Source for United States

Primary Source (Mandatory)
Other Source[s] (Optional)

Set News Source for World

Primary Source (Mandatory)
Other Source(s) (Optional)
  • Countries
    • India
    • United States
    • Qatar
    • Germany
    • China
    • Canada
    • World
  • Categories
    • National
    • International
    • Business
    • Entertainment
    • Sports
    • Special
    • All Categories
  • Available Languages for United States
    • English
  • All Languages
    • English
    • Hindi
    • Arabic
    • German
    • Chinese
    • French
  • Sources
    • India
      • AajTak
      • NDTV India
      • The Hindu
      • India Today
      • Zee News
      • NDTV
      • BBC
      • The Wire
      • News18
      • News 24
      • The Quint
      • ABP News
      • Zee News
      • News 24
    • United States
      • CNN
      • Fox News
      • Al Jazeera
      • CBSN
      • NY Post
      • Voice of America
      • The New York Times
      • HuffPost
      • ABC News
      • Newsy
    • Qatar
      • Al Jazeera
      • Al Arab
      • The Peninsula
      • Gulf Times
      • Al Sharq
      • Qatar Tribune
      • Al Raya
      • Lusail
    • Germany
      • DW
      • ZDF
      • ProSieben
      • RTL
      • n-tv
      • Die Welt
      • Süddeutsche Zeitung
      • Frankfurter Rundschau
    • China
      • China Daily
      • BBC
      • The New York Times
      • Voice of America
      • Beijing Daily
      • The Epoch Times
      • Ta Kung Pao
      • Xinmin Evening News
    • Canada
      • CBC
      • Radio-Canada
      • CTV
      • TVA Nouvelles
      • Le Journal de Montréal
      • Global News
      • BNN Bloomberg
      • Métro
संडे व्यू: संकट की घड़ी में न PM, न सरकार; मोदी के मुकाबले कौन?

संडे व्यू: संकट की घड़ी में न PM, न सरकार; मोदी के मुकाबले कौन?

The Quint
Sunday, May 16, 2021 03:29:14 AM UTC

From coronavirus pandemic to Narendra Modi govt, best weekend articles, opinions curated just for you in Hindi. कोरोना वायरस महामारी से मोदी सरकार तक, संडे व्यू में पढ़ें देश के बड़े अखबारों के सबसे जरूरी लेख, ओपिनियन हिंदी में.

खतरे में सरकारों की साखबिजनेस स्टैंडर्ड में टीसीए राघवन ने अपने मित्र अजित रानाडे से बातचीत का हवाला देते हुए वर्तमान स्थिति की तुलना कॉनवेक्स यानी उत्तल लेंस से की है. ऐसे लेंस पर कोई ऐसा बिन्दु नहीं होता, जहां से लाइन खींची जा सके या जिसे मूल बिन्दु कहा जा सके. राघवन यह भी कहते हैं कि ऐसी सतह पर हर बिन्दु या हर लकीर का पॉजिटिव वैल्यू होता है. कोई नकारात्मक नहीं होता. सब जुड़कर एक हो जाते हैं. कहने का अर्थ यह है कि कोई प्रतिक्रिया बेमतलब नहीं होती और हर आलोचना का भी कुछ न कुछ महत्व होता है. टीसीए राघवन कहते हैं कि सरकार से लेकर आम लोग तक, वैज्ञानिकों से लेकर महामारी विशेषज्ञों तक सभी ने गलतियां कीं, मतलब ये कि हमाम में हम सब थोड़े-थोड़े नंगे हैं.टीसीए राघवन कहते हैं कि ‘हेडलेस चिकन’ भी वर्तमान परिस्थिति को बयां करता है. वे बताते हैं कि 1945 में अमेरिका में माइक नाम के चिकन का सिर काट कर अलग कर दिया गया. किसी तरह उसे 18 महीने जीवित रखा गया. वास्तव में उसे इस तरह रखा गया मानो कुछ हुआ ही नहीं. इस दौरान ऐसा हुआ कि मस्तिष्क का नस कट नहीं सका था और खून शरीर के बाकी हिस्सों में जाता रहा. सरकारों के संदर्भ में भी इस कहानी की प्रासंगिकता है. ‘हेडलेस चिकन’ सरकार का क्या उपयोग हो सकता है! विश्वसनीयता, प्रभाव और ताकत खो चुकी ऐसी सरकार को जाती हुई सरकार कहते हैं. सोचकर भी सरकारें ऐसी स्थिति से उबर नहीं पाती हैं. ऐसी स्थिति में सरकार की विश्वसनीयता बहाल करना ही राष्ट्रीय जिम्मेदारी होती है. लेखक 1940 में इंग्लैंड की चैम्बलेन सरकार का उदाहरण देते हैं जिसकी विश्वसनीयता हिटलर ने खत्म कर डाली थी. तब विन्स्टन चर्चिल ने राष्ट्रीय सरकार का नेतृत्व किया था. बदला कुछ भी नहीं था. फिर भी सांसदों ने जनता का मूड समझ लिया था.सुप्रीम कोर्ट ने ली जिम्मेदारीसुनंदा के दत्ता राय ने द टेलीग्राफ में लिखा है कि महामारी से निबटने के भारत सरकार के तरीकों पर सुप्रीम कोर्ट ने बहुत सही स्वत: संज्ञान लिया है. ऐसा ही कोरोना के पहले वेब के दौरान भी किया जाना चाहिए था, जब लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूर सड़क पर निकल पड़े थे, लोगों ने नौकरियां खोयी थीं. बंगाल में 8 चरणों में चुनाव कराने पर उंगली उठाते हुए लेखक का कहना है कि देश में कोरोना की महामारी कहर बरपा रही थी ...
Read full story on The Quint
Share this story on:-
More Related News
© 2008 - 2025 Webjosh  |  News Archive  |  Privacy Policy  |  Contact Us