शौक बहराइची: तंज जिनका शौक था और मुफलिसी जिनकी किस्मत
Zee News
शौक बहराइची जिनका लिखा हुआ शेर 'बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है' आज भी लाखों लोगों की जुबां पर है. आज उनकी यौम-ए-पैदाइश का दिन है.
नई दिल्ली: उर्दू और हिंदी गजल के सफर के बीच कहीं खो गया एक शायर, जिसने गुमनामियत में ही अपनी सारी जिंदगी निकाल दी. शौक बहराइची का जन्म 6 जून, 1884 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के सैय्यदवाड़ा मोहल्ले में हुआ था. शौक हमेशा से इसी नाम से नहीं जाने जाते थे, उनका असल नाम 'रियासत हुसैन रिजवी' था. शौक अयोध्या में पैदा हुए, लेकिन उनकी परवरिश बहराइच में हुई. बहराइच में रहकर ही उन्होंने 'शौक बहराइची' के नाम से शेरो-शायरी करना शुरू किया. रिजवी साहब को 'तंज ए महाजिया' यानी किसी पर कटाक्ष कसने का सबसे ज्यादा शौक था.More Related News