शिक्षा बजट में लगातार होती कटौती निजीकरण की सरकारी मंशा दर्शाती है
The Wire
शिक्षाविद और नीति-निर्माता उम्मीद कर रहे थे कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार कुछ अहम क़दम उठाएगी क्योंकि लाखों छात्रों ने कोरोना महामारी के चलते अपनी शिक्षा के अहम वर्षों का नुकसान उठाया है, हालांकि बजट से उन सभी को निराशा हुई है.
नई दिल्ली: पिछले कुछ सालों से शिक्षा मंत्रालय का बजट आवंटन करीब-करीब समान रहा है, उसमें कोई खास बढ़ोतरी नहीं देखी गई है. इसलिए, सुलभता से उपलब्ध गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत को गति प्रदान करने के लिए कल्पना और इच्छाशक्ति की कमी, इस ओर इशारा करती है कि केंद्र सरकार इस क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारियों को धीरे-धीरे निजी क्षेत्र पर स्थानांतरित करने पर जोर दे रही है. Kudos to FM for recognising loss from 2 years of school closure but really one class one TV, e-content is NOT the answer. Opening schools is the and. Are we so blind to realities on the ground? Digital digital digital
2022-23 के आम बजट में पिछले बजट से कुछ भी अलग नहीं है, कुल आवंटन 1,04,277.72 करोड़ रुपये है जो उच्च शिक्षा विभाग और स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभागों के बीच बंटा हुआ है. — Yamini Aiyar (@AiyarYamini) February 1, 2022 It’s been TWO YRSWhy does #India have one of the longest school closures in the world? Even Uganda opened schools. China of course is way aheadWhy are only our kids falling behind? This is a race to the bottom#BudgetSession2022@PMOIndia @dpradhanbjp pic.twitter.com/wGROwzrKSO
केंद्र सरकार ने शिक्षा मंत्रालय के कुल आवंटन में मामूली वृद्धि की है. पिछले साल 88,000 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था. — Tanya Aggarwal (@tanya_aggarwal1) February 1, 2022