शादी के झूठे वादे के आधार पर यौन संबंध बनाने संबंधी क़ानून में संशोधन की ज़रूरत: अदालत
The Wire
एक सुनवाई के दौरान ओडिशा हाईकोर्ट के जस्टिस एसके पाणिग्रही ने कहा कि आईपीसी की धारा 375 के संदर्भ में यह स्पष्ट है कि कौन-सी परिस्थिति में 'सहमति' को 'असहमति' के तौर पर दर्ज किया जाता है, लेकिन इस धारा में उल्लिखित परिस्थितियों में विवाह के वादे पर बने यौन संबंध शामिल नहीं हैं. इसे लेकर दोबारा सोचने की ज़रूरत है.
कटक: ओडिशा हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि विवाह करने के झूठे वादे के आधार पर यौन संबंध बनाने को लेकर कानून में संशोधन कर इसे और स्पष्ट बनाने की आवश्यकता है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस एसके पाणिग्रही की एकल पीठ ने कहा कि वर्तमान में शादी का वादा करके बनाए जा रहे शारीरिक संबंधों के मामले में आरोपी की दोषसिद्धि संबंधी कानून स्पष्ट नहीं हैं. जस्टिस पाणिग्रही ने कहा, ‘वह कानून जो शादी के वादे पर बनाए गए संबंध को बलात्कार कहता है वो त्रुटिपूर्ण लगता है. हालांकि जमानत देते समय पीड़िता की व्यथा और आरोपी के उसकी और उसके परिवार की गरिमा को लांछित करने की संभावना को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।’More Related News