
वेदांता ने गोवा में अपने लौह निर्माण प्लांट चलाने के लिए पर्यावरण क़ानूनों को ताक़ पर रख दिया है
The Wire
विशेष: द रिपोर्टर्स कलेक्टिव की पड़ताल बताती है कि गोवा के दो गांवों- अमोना और नवेलिम में वेदांता के लौह अयस्क से कच्चा लोहा बनाने वाले दो संयंत्रों के संचालन में कई पर्यावरणीय क़ानूनों का उल्लंघन किया गया है.
नई दिल्ली: भारत में पर्यावरण की रक्षा के लिए दर्जनों नियम और कानून हैं, साथ ही एक पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण मामलों के लिए एक विशेष अदालत, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी हैं. फिर भी एक अरब डॉलर की कंपनी को एक दशक तक प्रदूषण को नियंत्रित करने में विफल रहने और गलत रिपोर्ट देने के बावजूद उसके लौह निर्माण के काम का विस्तार करने की मंजूरी मिली है.
गोवा की राजधानी पणजी से लगभग 25 किमी दूर अमोना और नवेलिम दो एक जैसे गांव हैं. दोनों में वेदांता द्वारा संचालित एक पिग-आयरन निर्माण संयंत्र है. लौह अयस्क को कच्चे लोहे या पिग आयरन में ढालने के लिए संयंत्रों में दिनभर जलती टॉवरिंग ब्लास्ट फर्नेस (भट्टी) इसे लोहे में परिष्कृत करती है.
वेदांता खुद को 80,000 टन की मासिक क्षमता के साथ ‘भारत में पिग आयरन का सबसे बड़ा उत्पादक’ बताता है. साल 2018 से यह अपना विस्तार करते हुए करीब 701 करोड़ रुपये की एक विस्तार योजना पर काम कर रहा है.
द रिपोर्टर्स कलेक्टिव द्वारा जांचे गए दस्तावेजों से पता चलता है कि जनवरी 2022 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने प्रतिकूल पर्यावरणीय ऑडिट और रिपोर्ट के बावजूद कंपनी को इन संयंत्रों के परिचालन में तेजी लाने के लिए मंजूरी दी है.
